OpenAI ने यह संकेत दिया कि वह भविष्य में IPO के लिए तैयार हो सकता है, यह कंपनी की तैयारियों और सार्वजनिक बाजारों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।
IPO क्या है?
IPO का मतलब है प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव। सरल शब्दों में, यह वह प्रक्रिया है जिसमें कोई कंपनी सार्वजनिक होती है। इसमें एक निजी कंपनी या सरकारी स्वामित्व वाली संस्था (जैसे LIC) अपने शेयर सार्वजनिक निवेशकों के लिए जारी कर धन जुटाती है।
IPO कैसे लिस्ट किया जाता है?
भारत में, IPO लिस्ट करने के लिए कंपनी को पहले सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास अपना ऑफर दस्तावेज दाखिल करना होता है। इस दस्तावेज में कंपनी के बारे में सभी जरूरी जानकारी होती है, जैसे कि कंपनी के प्रमोटर्स, परियोजनाएँ, वित्तीय विवरण, धन जुटाने का उद्देश्य, इश्यू की शर्तें आदि।
कंपनी को IPO लिस्ट क्यों करना चाहिए?
कंपनी IPO लिस्ट करने का निर्णय मुख्य रूप से पूंजी जुटाने के लिए ले सकती है। यह कंपनी के शेयरधारकों के आधार को भी बढ़ाता है। इसके अलावा, यह प्रक्रिया कंपनियों के लिए और अधिक नियमित जानकारी देने की आवश्यकता उत्पन्न करती है, जिससे निवेशकों को लाभ होता है। लिस्टिंग मौजूदा निवेशकों को बाहर निकलने का एक अवसर भी प्रदान करती है।
IPO के लिए योग्य कंपनियाँ:
भारत में, SEBI ने कुछ शर्तें निर्धारित की हैं जिन्हें कंपनियों को IPO के लिए आवेदन करने से पहले पूरा करना होता है:
- कंपनी के पास पिछले तीन वर्षों में से प्रत्येक वर्ष के लिए कम से कम 3 करोड़ रुपये के ठोस संपत्ति और 1 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य होना चाहिए।
- कंपनी को पिछले पांच वर्षों में से तीन वर्षों में कम से कम 15 करोड़ रुपये का औसत प्री-टैक्स लाभ होना चाहिए।
IPO शेयर की कीमत कौन तय करता है?
IPO के शेयर की कीमत को जारीकर्ता कंपनी और मर्चेंट बैंकर के बीच परामर्श से तय किया जाता है। वे कंपनी के मूल्यांकन का निर्धारण करते हैं, जिसमें संपत्ति, राजस्व, लाभ और भविष्य की नकदी प्रवाह अनुमान जैसे मापदंड शामिल होते हैं। इसके बाद, कुल कंपनी मूल्य को पोस्ट-ऑफर शेयरों की संख्या से विभाजित कर प्रति शेयर कीमत तय की जाती है। SEBI का इस कीमत निर्धारण में कोई रोल नहीं होता है।
IPO में कौन निवेश कर सकता है?
किसी भी व्यक्ति की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए और उसके पास एक ब्रोकर खाता होना चाहिए, ताकि वह IPO में निवेश कर सके।
IPO निवेशकों की श्रेणियाँ:
- क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs): इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs), म्यूचुअल फंड्स, बैंक्स, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड्स आदि शामिल होते हैं।
- रिटेल निवेशक: वह सभी व्यक्ति जो किसी इश्यू में 2 लाख रुपये तक का निवेश करते हैं।
- हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs): वे रिटेल निवेशक जो 2 लाख रुपये से अधिक का निवेश करते हैं।
Source: Indian Express