Nirav Modi UK Evidence: हाईकोर्ट में 10वीं जमानत याचिका खारिज, जज बोले- सबूत देखकर प्रथम दृष्टया केस बनता है

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की 10वीं जमानत याचिका एक बार फिर ब्रिटिश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जस्टिस माइकल फोर्डहैम ने कहा कि नीरव मोदी के खिलाफ प्रथम दृष्टया आधार पर सबूत मौजूद हैं”, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके खिलाफ गंभीर आर्थिक अपराध का मामला बनता है।

‘नीरव मोदी के रिहा होने पर फरार होने की आशंका ज्यादा’
इस दौरान जज फोर्डहैम ने कहा, ‘मैं दोहराना चाहूंगा कि ब्रिटेन की अदालतें पहले दो बार यह तय कर चुकी हैं कि नीरव मोदी के खिलाफ पेश किए गए सबूत प्रथम दृष्टया दोष दर्शाते हैं।’ अदालत ने यह भी माना कि अगर नीरव मोदी को रिहा किया गया तो उनके फरार होने की आशंका बहुत अधिक है।

क्या है पूरा मामला?
54 वर्षीय नीरव मोदी पर भारत में 13,800 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक घोटाले का आरोप है। दिसंबर 2019 में भारत की अदालत ने उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया था। यह घोटाला पंजाब नेशनल बैंक से जुड़ा है, जिसमें नीरव मोदी और उनके साथियों ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए विदेशी बैंकों से पैसा निकलवाया। ब्रिटेन हाई कोर्ट ने माना कि नीरव मोदी इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं और उनके खिलाफ गंभीर आर्थिक अपराध के आरोप हैं। अदालत ने यह भी कहा कि उन्होंने गवाहों को प्रभावित करने और सबूत नष्ट करने की कोशिश की थी।

नीरव मोदी पर क्या है आरोप?
नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने पीएनबी को गुमराह कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विदेशी बैंकों से पैसा निकलवाया। अदालत ने बताया कि इस घोटाले में लगभग 1,015.35 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 8,400 करोड़ रुपये) की हेराफेरी हुई। 2018 में नीरव मोदी ने एक मोबाइल फोन और दुबई में स्थित एक कंप्यूटर सर्वर के सबूत नष्ट किए। नीरव मोदी ने यूके में रहते हुए यह सब किया, जिससे यह साबित होता है कि वह जांच में सहयोग नहीं करना चाहते थे।

जमानत याचिका पर क्या हुआ?
यह नीरव मोदी की 10वीं बार जमानत की कोशिश थी, जिसे भारतीय एजेंसियों की कड़ी आपत्ति के बाद खारिज कर दिया गया। भारत की तरफ से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने इस केस में यूके की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के जरिए कोर्ट में मजबूत पक्ष रखा। सीबीआई ने प्रेस रिलीज में बताया कि, ‘सीबीआई की मजबूत दलीलों और लंदन में मौजूद टीम की मदद से यह जमानत याचिका खारिज हुई।’ नीरव मोदी को मार्च 2019 में ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और तब से वे जेल में हैं। ब्रिटेन की अदालत पहले ही नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे चुकी है। दिसंबर 2022 में यूके सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। भारत में सीबीआई और ईडी ने उनके खिलाफ कई केस दर्ज किए हैं, जिनमें संपत्तियों की जब्ती भी शामिल है।

Source: Amar Ujala