भक्ति आंदोलन

अलवार और नयनार

सातवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य भक्ति आंदोलन का उद्भव कहाँ हुआ था – दक्षिण भारत में

दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन का प्रचार-प्रसार किसने किया था – नयनार और अलवार संतों ने

नयनार संत किस देवता के उपासक थे – शिव के

प्रारंभिक भक्ति आंदोलनों में से एक आंदोलन अलवारों के नेतृत्व में हुआ, वे किसके भक्त थे – विष्णु के

प्रमुख अलवार सन्त कौन थे – तिरुमंगई, पेरिय अलवार, आण्डाल, कुलशेखर आदि

अलवार और नयनार संतों के बीच मतभेद के परिणामस्वरूप किस आंदोलन का उदय हुआ – भक्ति आंदोलन का 

शंकराचार्य का जन्म कहाँ हुआ था – कलादी (केरल) में

शंकराचार्य ने किस मत का प्रचार किया – अद्वैतवाद व निर्गुण ब्रह्म का

शंकराचार्य के गुरु कौन थे – गोविन्द

8वीं सदी के दौरान भारत के किस दार्शनिक और धर्मशास्त्री ने अद्वैत वेदांत के सिद्धान्त को समेकित किया था – आदि शंकराचार्य ने

शंकराचार्य की भेंट कुमारिल से कहाँ हुई थी – प्रयाग में

भारत की चारों दिशाओं पर चार महान मठों एवं विहारों (श्रृंगेरी, पुरी, द्वारिका तथा बद्रीनाथ) की स्थापना किसने की थी- शंकराचार्य ने 

शंकराचार्य के अद्वैतवाद और निर्गुण ब्रह्म का विरोध किसके द्वारा किया गया था -रामानुज द्वारा ( वैष्णव संतों द्वारा )

भक्ति आंदोलन के प्रथम प्रतिपादक कौन थे – रामानुज

12वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के संस्थापक कौन थे – रामानुजाचार्य

रामानुज का जन्म कहाँ हुआ था – पेरम्बदूर (तमिलनाडु) में

वह कौन-सा स्थान था, जहाँ रामानुज शिक्षण-कार्य करते थे – श्रीरंगम में

रामानुज ने किस पक्ष पर सबसे ज्यादा बल दिया था – भक्ति पक्ष पर

रामानुज के अनुयायियों को क्या कहा जाता है – वैष्णव

रामानुज किस ईश्वर में विश्वास रखते थे – सगुण ईश्वर में

विशिष्टाद्वैत से संबंधित संत कौन थे – रामानुज

कौन-सा सिद्धान्त रामानुज का दर्शन है – जीव मोक्ष के बाद भी ईश्वर से अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखता है

‘श्री संप्रदाय’ किस धर्म से संबंधित है – वैष्णव धर्म से

‘श्री संप्रदाय’ के आचार्य कौन थे – रामानुज

 मध्वाचार्य

कौन संत द्वैतवाद मत के समर्थक थे – मध्वाचार्य

किस भक्ति संत को आनंदतीर्थ के नाम से जाना जाता है – मध्वाचार्य को

 रामानन्द

भक्ति आंदोलन के किस संत का जन्म प्रयाग में हुआ था – रामानंद

भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत रामानन्द का जन्म कब हुआ था -1299 ई. में 

भगवान राम पर केन्द्रित भक्ति आंदोलन के अग्रदूत कौन थे -रामानंद थे

किस भक्तिकालीन संत ने पहली बार अपने उपदेश में हिन्दी भाषा का प्रयोग किया – रामानंद ने

“ईश्वर मनुष्य के गुणों को देखता है उसकी जाति को नहीं, दूसरे संसार में कोई जाति नहीं है” यह कथन किसका है -रामानंद का

“कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से उसका धर्म-संप्रदाय या जाति न पूछे।” यह कथन किसका है -रामानंद का

रैदास किसके शिष्य थे – रामानंद के

रविदास और कबीर किसके शिष्य थे – रामानन्द के

कबीर

संत कबीर का जन्म कब हुआ था -1440 ई. में

संत कबीर का जन्म कहाँ हुआ था – वाराणसी में

निर्गुण सन्त मत के प्रथम प्रतिपादक कौन थे – कबीर

भक्ति संतों में कौन एक सर्वाधिक आमूल सुधारवादी था – कबीर

‘पाहन पूजे हरि मिलै, तो मैं पूजौं पहार’ यह कथन किस संत का है – कबीर का

कबीर एवं धरमदास के मध्य संवादों के संकलन का शीर्षक क्या है – अमरमूल

‘बीजक’ किसके द्वारा लिखा गया- कबीर द्वारा

कबीर की रचनाओं के विषय में सही कथन है-

  1. कबीर पंथियों द्वारा रचित कबीर के पदों के सर्वाधिक श्रद्धेय संग्रहों में बीजक है, जो आदि ग्रन्थ में संग्रहीत है
  2. पंजाबी परंपरा के बजाय दादू पंथियो द्वारा पंचवानी में रचित कबीर के पद अपेक्षाकृत कम प्रामाणिक है
  3. शार्लट वॉडविल का तर्क है कि आदि ग्रन्थ में संग्रहीत कबीर संग्रह कबीर पंथियों के सांप्रदायिक आग्रहों से मुक्त है
  4. डेविड लॉरेन्जन का मानना है कि कबीर के सभी प्रमुख संग्रहो में अन्य स्रोतों से ली गई सामग्री के प्रक्षेप है

रैदास (रविदास)

रैदास (रविदास) किसके शिष्य थे – रामानंद के 

रैदास (रविदास) पेशे से क्या थे – मोची

दादू

दादू किस शाखा के संत थे – निर्गुण भक्ति शाखा के

दादू का जन्म कहाँ हुआ था – अहमदाबाद में

निपख संप्रदाय किस भक्ति संत से संबंधित है – दादू से

चैतन्य

चैतन्य का जन्म कहाँ हुआ था – नदिया (पं. बंगाल) में

चैतन्य का वास्तविक नाम क्या था – निमाई या विश्वम्भरनाथ

चैतन्य ने किसकी भक्ति की शिक्षा दी थी – कृष्ण की

राधा एवं कृष्ण की भक्ति को लोकप्रिय बनाने वाले वैष्णव संत कौन थे – चैतन्य 

चैतन्य ने भक्ति के किस मार्ग का उपदेश दिया था – गान एवं नृत्य द्वारा भक्ति

किस संत ने संकीर्तन एवं नगरकीर्तन के रूप में भक्ति गीतों को गाने की परंपरा प्रारंभ की थी – चैतन्य ने

चैतन्य ने भक्ति आंदोलन में जो विशिष्टता जोड़ी, वह क्या थी – कीर्तन पद्धति

किस संत को उसके अनुयायी विष्णु (कृष्ण) का अवतार मानते थे – चैतन्य को

‘गौड़ीय संप्रदाय’ के प्रवर्तक कौन थे – चैतन्य महाप्रभु

मथुरा के निकट वर्तमान वृंदावन की इस रूप में पहचान किसने की थी – चैतन्य ने

कौन शासक बंगाल के महान वैष्णव संत चैतन्य का समकालीन था – अलाउद्दीन हुसैन शाह –

चैतन्य की मृत्यु कहाँ हुई थी – पुरी में

वल्लभाचार्य

वल्लभाचार्य का जन्म कहाँ हुआ था – वाराणसी में

किस वैष्णव संत का जन्म वाराणसी (चम्पारण्य) में हुआ था- वल्लभाचार्य का

वल्लभाचार्य वैष्णव धर्म की किस शाखा से संबंधित थे- कृष्णामार्गी शाखा से

‘पुष्टि मार्ग संप्रदाय’ के संस्थापक कौन थे- वल्लभाचार्य

संत वल्लभाचार्य से संबंधित सत्य कथन है

  1. भक्ति सन्त वल्लभाचार्य ने शुद्धद्वैत दर्शन का प्रतिपादन किया
  2. उन्होंने व्यष्टि आत्मा को ब्रह्म से पूर्णतः सदृश माना और

दोनों के बीच किसी विभेद को स्वीकृति नहीं दी

वल्लभाचार्य ने किसकी भक्ति का गान प्रचार (कीर्तन द्वारा) किया था – कृष्ण का

किस भक्ति संत ने वेदान्तसूत्र की संस्कृत में टीका लिखी थी- वल्लभाचार्य ने

रुद्र संप्रदाय के किस संत का निधन वाराणसी में हुआ था- वल्लभाचार्य का 

अष्टछाप के कवि किसके अनुयायी थे – वल्लभाचार्य के

वल्लभाचार्य के अनुयायियों ने 1862-63 में किसके विरूद्ध ‘द महाराज लाइबल केस’ दायर किया था-कर्सनदास मूलजी के विरुद्ध

 मीराबाई

श्री कृष्ण भक्त मीराबाई किस क्षेत्र से संबंधित थीं – राजस्थान से 

मीराबाई किसकी पुत्री थी-मेड़ता के राजा रतनसिंह राठौर की

प्रसिद्ध भक्ति कवयित्री मीरा के पति का क्या नाम था – राजकुमार भोजराज

मीराबाई किसकी आराधना करती थीं – भगवान कृष्ण की

‘राग-गोविंद’ की रचनाकार कौन थीं – मीराबाई 

सूरदास

सूरदास का जन्म कहाँ हुआ था – रुनकता में

सूरदास किसके समकालीन थे – अकबर एवं जहाँगीर के 

सूरदास ने अपने गीतों में किस भाषा का प्रयोग किया था- ब्रजभाषा का

‘सूरसागर’ के रचयिता कौन थे – सूरदास

तुलसीदास

तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ था – राजापुर में

तुलसीदास किसके भक्त थे – भगवान राम के 

तुलसीदास जी ने ‘रामचरित मानस’ की रचना किसके काल में की थी – अकबर के काल में

‘विनय पत्रिका’ के रचयिता कौन थे – तुलसीदास जी

शैव-वैष्णव धर्म का समन्वय किस संत ने स्थापित किया था -तुलसीदास ने

कवितावली, गीतावली व रामचरितमानस किसकी रचनाएं हैं -तुलसीदास जी की

शंकर देव

कामरुप (असम) में वैष्णव धर्म का प्रवर्तन किसने किया था- शंकर देव ने

शंकर देव द्वारा कौन-सा संप्रदाय स्थापित किया गया था – एक शरण संप्रदाय

आचार्य शंकर देव से संबंधित सत्य कथन है

  1. असम के आचार्य शंकर देव ने एक गृहस्थ का जीवन व्यतीत किया
  2. उनके धर्म में सन्यास के लिए कोई स्थान नहीं था

महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन

महाराष्ट्र में धर्म सुधार तथा सामाजिक परिवर्तन का आरंभ किसने किया था- संत ज्ञानेश्वर ने

संत ज्ञानेश्वर के आंदोलन को क्या कहा जाता है – पंढरपुर आंदोलन

पंढरपुर के भक्ति आंदोलन में किस देवता की पूजा आरंभ की – विठोवा ( या विठ्ठल की)

महाराष्ट्र का भक्ति आंदोलन किन दो संप्रदायों में विभक्त था – वरकरी और धरकरी में

‘वरकरी संप्रदाय’ के प्रमुख देवता कौन हैं – विठ्ठल ( कृष्ण का एक रूप )

वरकरी सम्प्रदाय के प्रमुख सन्त कौन थे – ज्ञानेश्वर, नामदेव व तुकाराम 

वरकरी संप्रदाय की मुख्य पीठ कहाँ अवस्थित है – पंढरपुर में

भगवद्गीता की टीका ‘भावार्थ दीपिका’ के लेखक कौन हैं- ज्ञानेश्वर

संत नामदेव पेशे से क्या थे – दर्जी थे

किस मध्यकालीन संत के उपदेश ‘अभंग’ में संकलित हैं- नामदेव के

वह हिंदू संत कौन थे, जो भक्ति आंदोलन और महाराष्ट्र के वरकरी संप्रदाय से जुड़े थे – गोरा कुंभार

भक्त तुकाराम किस मुगल सम्राट के समकालीन थे- जहाँगीर के

सिक्ख धर्म

गुरु नानक का जन्म कब हुआ था-1469 ई. में 

कौन-सा स्थान गुरु नानक का जन्म स्थल था – तलवण्डी

गुरु नानक के पिता का क्या नाम था- मेहता कालूचंद

किसने अपने उद्देश्यों में समाज एवं परिवार के लिए महिलाओं के महत्व को पहचाना था – गुरु नानक ने

गुरु नानक के विषय में सही कथन है –

  1. गुरु नानक अफगानों द्वारा स्थापित राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था से, विशेषतः पंजाब में, पूर्णतः परिचित थे
  2. उन्होंने बाबर की आक्रमणकारी सेना को “पाप की बरात” के रूप में देखा 
  3. उनका विश्वास था कि ईश्वर की कोई जाति नहीं है, न ही ईश्वर ने जाति को कोई महत्व दिया है
  4. ‘ईश्वर केवल मनुष्य के सद्गुण को पहचानता है तथा उसकी जाति-नही पूंछता, आगामी दुनिया में कोई जाति नहीं होगी।’ 

सिद्धान्त किस भक्ति संत का है- नानक का

सूफीवाद के दस अवस्थानों का वृत्तान्त देने वाले दस मुकामी

रेख्ता की रचना किसने की थी-गुरु नानक ने

आदि ग्रन्थ का संकलन किसके काल में किया गया था-गुरु अर्जुन देव के काल में

आदिग्रन्थ साहिब के विषय में सही कथन हैं

  1. इसका संकलन सत्रहवीं शताब्दी के प्रथम दशक में हुआ था
  2. इसमें कबीर के पद्य हैं
  3. इसमें बाबा फरीद की उक्तियाँ हैं

तरनतारन नामक नगर की स्थापना करने वाले सिख गुरु कौन थे- गुरु अर्जुन देव

हुजूर साहब का गुरुद्वारा किसकी याद में बना था -गुरु नानक की याद में

गुरु ग्रंथ साहिब अपनी मौजूदा रूप में किसके द्वारा तैयार किया गया था-गुरु गोविन्द सिंह द्वारा

गुरु गोविन्द सिंह की प्रमुख कृतियाँ कौन-सी है -‘चण्डी चरित्र’, विचित्र नाटक और ‘जफरनामा’

सिख परंपरा के अनुसार किस सूफी संत को हर मंदिर की स्थापना का श्रेय दिया जाता है

क्राइस्ट का जन्म कहाँ हुआ था- बेथलेहम में

ईस्टर त्यौहार के पीछे ईसाइयों की क्या भावना है – इस दिन ईसा पुनर्जीवित हुए थे

ईसाइयों का गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है – ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था

कौन एक संत महाराष्ट्र के वैष्णव भक्ति से संबंधित थे- एकनाथ

भक्ति आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था -धार्मिक सहिष्णुता

उत्तर भारत का भक्ति आंदोलन किसकी भक्ति के इर्द-गिर्द विकसित हुआ था – राम और कृष्ण के

किस ग्रन्थ में सबसे पहले मध्यकालीन भक्तों का विवरण एक जगह मिलता है- भक्तमाल में

भक्ति आंदोलन के क्या प्रभाव हुए थे- प्रांतीय भाषाओं का विकास

-जाति-प्रथा के बंधनो का ढीला होना- हिन्दू धर्म में सुधार

भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप किस भाषा का विकास हुआ था- क्षेत्रीय भाषाओं का 

‘भक्ति आंदोलन’ का प्रादुर्भाव कहाँ हुआ था -दक्षिण भारत से

भक्ति संस्कृति का भारत में पुनर्जन्म कब हुआ था – पंद्रहवी और सोलहवी शताब्दी में

सभी भक्ति संतों के मध्य एक समान विशेषता क्या थी -अपनी वाणी को उसी भाषा में लिखा, जिसे उनके भक्त समझते थे

कौन एक संत महाराष्ट्र के वैष्णव भक्ति से संबंधित थे- एकनाथ

भक्ति आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था -धार्मिक सहिष्णुता

उत्तर भारत का भक्ति आंदोलन किसकी भक्ति के इर्द-गिर्द विकसित हुआ था – राम और कृष्ण के

किस ग्रन्थ में सबसे पहले मध्यकालीन भक्तों का विवरण एक जगह मिलता है- भक्तमाल में

भक्ति आंदोलन के क्या प्रभाव हुए थे- प्रांतीय भाषाओं का विकास

-जाति-प्रथा के बंधनो का ढीला होना- हिन्दू धर्म में सुधार

भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप किस भाषा का विकास हुआ था- क्षेत्रीय भाषाओं का 

‘भक्ति आंदोलन’ का प्रादुर्भाव कहाँ हुआ था -दक्षिण भारत से

भक्ति संस्कृति का भारत में पुनर्जन्म कब हुआ था – पंद्रहवी और सोलहवी शताब्दी में

सभी भक्ति संतों के मध्य एक समान विशेषता क्या थी -अपनी वाणी को उसी भाषा में लिखा, जिसे उनके भक्त समझते थे

श्रीग्रन्थ साहिब (गुरु ग्रन्थ साहिब) में गुरूओं के उपदेशों के साथ किनके भजन संकलित है – फरीद, कबीर, रैदास, धन्ना और सेना के

किस एक मध्ययुगीन भक्ति सन्त को बंगाल के राजा लक्ष्मणसेन ने अपने दरबार के ‘पाँच रत्नों’ में से एक के रूप में संरक्षण प्रदान किया था – जयदेव को

15वीं और 16वीं शताब्दियों के भक्ति सन्तों द्वारा किन बातों पर जोर दिया गया था – धार्मिक कर्मकाण्डों की निरर्थकता व – निर्गुण ब्रह्म की अवधारणा पर

कालक्रम की दृष्टि से विद्वानों का सही क्रम है – अलबरूनी भास्कराचार्य अमीर खुसरो>सूरदास

भक्तिकालीन सभी संतों का सामान्य लक्षण क्या था- जाति प्रथा को अस्वीकार करना

कालक्रम की दृष्टि से संतों का सही क्रम है -कबीर-नानक-चैतन्य-तुलसी

भक्ति मार्ग के निर्गुण पंथ के प्रमुख सदस्य कौन थे- कबीर, नानक, रैदास आदि

स्वयं को लीन करने का सिद्धान्त किससे संबंधित है -निर्गुण भक्तों से कबीर और नानक के संबंध में सही कथन हैं-

– उनके विचार भक्ति तथा सूफी दोनों परम्पराओं से लिए गए थे

 – वे ग्रामीण जनता की भावनाओं की अभिव्यक्ति करते थे

– उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए प्रभावशाली प्रयास किए

– उनके अनुयायियों ने स्वतंत्र धार्मिक समाज स्थापित किए

तिथिक्रम के अनुसार सन्तों का सही क्रम है

-शंकराचार्य- रामानुजाचार्य-मध्वाचार्य- निम्बार्क- वल्लभाचार्य

कालानुक्रम की दृष्टि से संतों का सही क्रम है -नामदेव-एकनाथ-तुकाराम-रामदास

तिथिक्रम के अनुसार संतों का सही क्रम इस प्रकार है -शंकराचार्य-रामानुज-शंकरदेव-दादू

किन संतों ने संन्यास नहीं लिया था -वल्लभाचार्य एवं नानक ने

सभी भक्ति तथा सूफी सन्तों ने किस पर बल दिया था- मानवता पर

तानसेन, बैजूबावरा और गोपाल नायक जैसे संगीतज्ञों ने स्वामी हरिदास से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। स्वामी हरिदास के अनुयायियों ने कितने संगीत अर्चना केंद्र स्थापित किए थे -5 केंद्र

महाभारत व रामायण का बांग्ला भाषा में अनुवाद किसने करवाया था- नुसरत शाह ने

‘पद्मावत’ के रचयिता कौन थे -मलिक मुहम्मद जायसी

किस संत कवि ने ‘निपक्ष’ (निपख) मार्ग का अनुमोदन किया था-दादू दयाल ने

‘रामायण’ महाकाव्य की रचना किसने की थी – वाल्मीकि ने

‘दशबोध’ नामक पुस्तक किसने लिखी थी – रामदास ने

भक्ति तथा सूफी सन्तों के बारे में सही कथन हैं-

  1. – वे धार्मिक सहिष्णुता चाहते थे
  2. – उनके हिन्दू तथा मुस्लिम अनुगामी थे 
  3. – उन्होंने स्त्री हितों को प्रोत्साहित किया 

कौन ‘महानुभाव संप्रदाय’ का संस्थापक था – चक्रधर

मध्यकालीन भारत का वह कौन संत कवि था जिसने षड् दर्शन के मूल्यों को अस्वीकार किया तथा निपख के मार्ग का अनुमोदन किया था -दादू दयाल ने

चौदहवीं सदी की संत कवियित्री लल्ला देद की रचनाओं को किस नाम से जान जाता है -‘बाख’ नाम से

भक्ति आंदोलन के बारे में सही कथन हैं

  1. रामानंद ने अपनी पुस्तक आनंद भाष्य में शूद्रों के वेद पढ़ने के अधिकार को स्वीकार नहीं किया है
  2. ज्ञानेश्वर की भावार्थ दीपिका/ज्ञानेश्वरी भगवद्गीता की मराठी में दी गई व्याख्या/टीका है
  3. 17 वीं सदी के एक सूफी ग्रंथ मिरात-उल-असरार में कबीर को एक फिरदौसी सूफी बताया गया है

भक्ति एवं सूफी संतों से संबंधित सत्य कथन है

  1. – चैतन्य के अनुसार पूजा में प्रेम और भक्ति, तथा गीत और नृत्य सम्मिलित है, जो हर्षोन्माद की अवस्था प्रदान करते है, जिसमें भगवान (हरि) की उपस्थिति को महसूसकिया जा सकता है 
  2. – अब्दुल वाहिद बिलग्रामी का ‘हकीक-ए-हिन्दी’ वैष्णव – संतों की भक्ति गीतों का सूफियों पर प्रभाव दर्शाता है
  3. – कर्नाटक की महादेवी अक्का, कश्मीर की लल्लेश्वरी और राजस्थान की मीराबाई संभवतः यह प्रदर्शित करती हैं कि भगवान को प्रेम करने की उनके भीतर अंतर्निहित आकांक्षा का दुनियावी शादी से मेल बिठाना संभव नहीं था

भक्ति आंदोलन के संदर्भ में सत्य कथन है

– मध्यकालीन भक्ति आंदोलन बौद्ध और जैन मत के

– मानने वालों को हिन्दू धर्म से जोड़ने में सफल रहा

-सांस्कृतिक समायोजन की प्रक्रिया में जनजाति के अनेक लोग हिन्दू जाति-प्रथा में सम्मिलित हो गए

महाभारत के फारसी अनुवाद के लिए मुल्ला अहमद को कश्मीर के किस सुल्तान ने अधिकृत किया था- सुल्तान जैनुल आबिदीन ने

संत कवि मलूकदास कहाँ के निवासी थे- कड़ा के 

संत घासीदास के पिताजी का क्या नाम था- महंगू

भक्ति संतों का सही कालानुक्रम है -शंकराचार्य-रामानुज-चैतन्य

भगवान शिव की प्रतिष्ठा में कितने ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं – 12 ज्योतिर्लिंग

बारहमासा की रचना किसने की थी – मलिक मोहम्मद जायसी ने

प्रति वर्ष प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की मजार पर मेला कहाँ लगता है – देवा शरीफ में

बुद्ध और मीराबाई के जीवन दर्शन में मुख्य साम्य क्या था – संसार दुःखपूर्ण है