प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भाग लेने ब्राज़ील जाने के क्रम में घाना (Ghana), त्रिनिदाद और टोबैगो (Trinidad and Tobago), तथा अर्जेंटीना (Argentina) की द्विपक्षीय यात्राएँ कीं। ये सभी दौरे आपसी सहयोग को मज़बूत करने के उद्देश्य से थे, जिनमें कुछ साझा विषय विशेष रूप से उभरकर सामने आए, जैसे:
फार्मास्युटिकल्स और वैक्सीन (औषधि और टीकाकरण)
डिजिटल टेक्नोलॉजी (डिजिटल प्रौद्योगिकी)
खाद्य सुरक्षा (Food Security)
क्रिटिकल मिनरल्स (महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ)
घाना (Ghana) में भारत का सहयोग:
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान भारत और घाना के बीच “समग्र साझेदारी” (Comprehensive Partnership) स्थापित की गई।
चर्चा का मुख्य विषय रहा कि भारत किस प्रकार से पश्चिमी अफ्रीका (West Africa) के लिए घाना को वैक्सीन हब (Vaccine Hub) बनाने में मदद कर सकता है।
त्रिनिदाद और टोबैगो (Trinidad & Tobago) में सहयोग:
पोर्ट ऑफ स्पेन (Port of Spain) में भारत और त्रिनिदाद सरकार के बीच “इंडियन फार्माकोपिया” (Indian Pharmacopeia) पर एक महत्त्वपूर्ण समझौता (MoU) हुआ।
इसका उद्देश्य है कि भारत की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं (Generic Medicines) को वहां तक पहुँचाया जा सके।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय प्रवासी समुदाय (Indian diaspora) को संबोधित किया।
1845 से ब्रिटिश उपनिवेशवाद के समय जो भारतीय श्रमिक त्रिनिदाद लाए गए थे, उनके योगदान को भी सराहा गया।
मोदी ने राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू (Christine Carla Kangaloo) और पूर्व प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिसेसर (Kamla Persad-Bissessar) के भारतीय मूल को भी रेखांकित किया।
अर्जेंटीना (Argentina) में ऊर्जा और खनिज सहयोग:
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली (Javier Milei) के साथ बैठक में क्रिटिकल मिनरल्स और शेल गैस व तेल (Shale Gas and Oil) पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
भारत ने फार्मास्युटिकल उत्पादों को अर्जेंटीना में पहुँचाने की पेशकश की।
वैश्विक दक्षिण (Global South) और भारत की भूमिका:
ये सभी दौरे विकासशील देशों (Developing Nations) की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें भारत ग्लोबल साउथ के रूप में देखता है।
यह यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य था:
विकसित विश्व (Global North) के विकल्प के रूप में विकासशील विश्व (Global South) के लिए नई आर्थिक व्यवस्थाएँ तैयार करना।
भारत के नेतृत्व में बने संगठनों जैसे CDRI (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) को बढ़ावा देना।
राजनीतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव:
इन देशों और भारत के बीच ऐतिहासिक जुड़ाव भी हैं:
सभी देशों ने औपनिवेशिक शोषण (British, Spanish, Portuguese, German colonization) झेला है।
इसी अनुभव ने उन्हें गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) से जोड़ा।
भारत और ब्राज़ील की साझेदारी ने BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और IBSA (India, Brazil, South Africa) जैसे मंचों की स्थापना की, जो ग्लोबल साउथ के हितों को सामने रखते हैं।
यात्रा का मूल उद्देश्य:
प्रधानमंत्री मोदी की 9-दिवसीय यात्रा केवल राजनयिक औपचारिकताओं का हिस्सा नहीं थी, बल्कि इसका मूल लक्ष्य था:
एक ऐसे वैश्विक व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाना जो अधिक समान (more equal), प्रतिनिधिक (representative), और विकासशील देशों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील (sensitive) हो।
ये देश “एंटी-वेस्ट” (Anti-West) नहीं हैं, परंतु वे वर्तमान वैश्विक असंतुलन से ऊपर उठकर एक न्यायपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की मांग कर रहे हैं — जिसमें भारत उनकी आवाज़ बन रहा है।
Source: The Hindu