नई EV नीति की घोषणा
2 जून को भारत ने EV (इलेक्ट्रिक वाहन) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 15% रियायती आयात शुल्क देने की घोषणा की। यह छूट केवल उन्हीं निर्माताओं को मिलेगी जो तीन वर्षों में ₹4,150 करोड़ का निवेश कर स्थानीय निर्माण शुरू करेंगे।
स्थानीय मूल्य संवर्धन (DVA)
पहले 3 वर्षों में 25% DVA और उसके बाद अगले 2 वर्षों में 50% DVA आवश्यक होगा। हर निर्माता प्रति वर्ष अधिकतम 8,000 पूरी तरह से निर्मित EV यूनिट्स आयात कर सकता है (5 साल तक)।
SPMEPCI योजना
मार्च 2024 में घोषित Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India (SPMEPCI) के अंतर्गत यह नीति लाई गई है। इसका उद्देश्य भारत में EV विनिर्माण और अपनाने को बढ़ावा देना है।
तकनीकी हस्तांतरण की कमी
नीति में सबसे बड़ी कमी तकनीक के हस्तांतरण (Technology Transfer) की है, जो भारत के EV विकास के लिए बेहद जरूरी है।
अन्य देशों का अनुभव
चीन ने 2009 में EV नीति शुरू की और संयुक्त उद्यम (joint ventures) को अनिवार्य कर तकनीक हस्तांतरण सुनिश्चित किया। चीन ने EV क्षेत्र में अब तक $230 अरब (लगभग ₹19 लाख करोड़) की सहायता दी है और दुनिया का सबसे बड़ा EV उत्पादक एवं उपभोक्ता बन गया है।
अमेरिका ने 2010 में $25 अरब की योजना शुरू की, जिसे बाद में और विस्तृत किया गया, लेकिन EV अपनाने की गति चीन से कम है।
वैश्विक EV बिक्री (2024) – 2024 में 17 मिलियन EV कारों की वैश्विक बिक्री में से:
- चीन: 11.3 मिलियन
- यूरोप: 3.2 मिलियन
- अमेरिका: 1.5 मिलियन
- बाकी दुनिया: शेष
भारत की रणनीति का सुझाव
भारत को ICE (Internal Combustion Engine) वाहनों की तरह EV के लिए भी स्थानीय संयुक्त उद्यमों को अनिवार्य करना चाहिए, ताकि बैटरी और अन्य तकनीकों का स्थानीयकरण हो सके। फिलहाल 25% DVA मुख्यतः ICE वाहन भागों को EV में समायोजित करने और सॉफ्टवेयर सेवाओं से जोड़ने तक सीमित है।
Source: The Hindu