भारत का 2070 नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश की आवश्यकता: मूडीज

मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार को कहा कि भारत को अपने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी, क्योंकि देश को ऊर्जा सुरक्षा, किफायती दरें और ऊर्जा संक्रमण के बीच संतुलन बनाना होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विशेष रूप से विद्युत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी, क्योंकि यह क्षेत्र देश के कार्बन उत्सर्जन में अहम भूमिका निभाता है। आने वाले एक दशक में इन निवेशों का आकार भारत की वास्तविक जीडीपी का लगभग 2 प्रतिशत होगा, जो बिजली उत्पादन, भंडारण, पारेषण और वितरण जैसी पूरी विद्युत मूल्य श्रृंखला को कवर करेगा।

सरकार का 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य मुख्य रूप से ऊर्जा मिश्रण (फ्यूल मिक्स) में बदलाव पर निर्भर करेगा, जहां वर्तमान में कोयला-आधारित बिजली उत्पादन का प्रभुत्व है। इस बदलाव में साफ-सुथरे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर झुकाव जरूरी होगा।

हालांकि, भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि का मतलब है कि देश अगले 10 वर्षों में कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में 32-35 प्रतिशत (लगभग 70-75 गीगावाट) की वृद्धि करेगा, जबकि इसी अवधि में लगभग 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता भी जोड़ी जाएगी।

मूडीज के उपाध्यक्ष और सीनियर क्रेडिट ऑफिसर अभिषेक त्यागी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र सक्रिय बना रहेगा, जबकि सरकारी कंपनियां भी इसमें अपनी भागीदारी बढ़ाएंगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगले 20-25 वर्षों में सौर और पवन ऊर्जा नई उत्पादन क्षमता में सबसे आगे रहेंगे, जबकि परमाणु और जलविद्युत की हिस्सेदारी सीमित रहेगी।

ऊर्जा संक्रमण से जुड़े बुनियादी ढांचे के लिए पूंजी जुटाने में विदेशी निवेश (ऋण और इक्विटी दोनों रूपों में) जैसे विविध स्रोतों को सुरक्षित करना अत्यंत आवश्यक होगा।

इस बीच, सरकार ने ‘मैरीटाइम इंडिया विजन 2030’ के तहत आने वाले वर्षों में बंदरगाह क्षमता और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) की योजना बनाई है।

मूडीज की भारतीय सहयोगी संस्था ICRA के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में कंटेनर, पेट्रोलियम उत्पाद और उर्वरक क्षेत्रों में वृद्धि के कारण भारत में कार्गो वॉल्यूम में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

पारंपरिक क्षेत्रों जैसे परिवहन और ऊर्जा के अलावा, अब डेटा सेंटर भी भारत में बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए एक नया आकर्षण बनकर उभर रहा है।

ICRA का अनुमान है कि अगले 5-6 वर्षों में देश में डेटा सेंटर क्षमता विस्तार में 1.6 से 1.8 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसे तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और अनुकूल सरकारी नीतियों का समर्थन मिलेगा।

Source: DD News