भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गोल्ड लोन नियमों में बदलाव

RBI गोल्ड लोन नियमों में बदलाव क्यों कर रहा है?

9 अप्रैल 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किया, जो कि सोने को गिरवी रखकर दिए जाने वाले ऋण (Gold Loans) पर आधारित था। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के बीच गोल्ड लोन से संबंधित नियमों को एक समान (Harmonised) किया जाए, क्योंकि वर्तमान में विभिन्न संस्थाएं अलग-अलग नियमों के अनुसार कार्य कर रही हैं। साथ ही, RBI यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उधारदाताओं की प्रक्रियाएं पारदर्शी और मानकीकृत हों।

प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया क्या रही?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह प्रस्ताव ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि ऋण प्रणाली में गंभीर व्यवधान उत्पन्न कर सकता है, खासकर दक्षिण भारत में।

उनका कहना था कि गोल्ड लोन छोटे किसानों और डेयरी/पोल्ट्री जैसे सहायक कृषि क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के लिए तात्कालिक कृषि ऋण का मुख्य साधन है।

इस पर वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उसने RBI को निर्देश दिया है कि नए नियमों से छोटे कर्जदारों पर कोई नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। साथ ही मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ये नियम 1 जनवरी 2026 से ही लागू होंगे।

RBI को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

सितंबर 2024 में RBI ने देखा कि कुछ संस्थाओं द्वारा गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में अत्यधिक वृद्धि हो रही थी और साथ ही अनियमितताएं भी देखी गईं।

2023-24 में गोल्ड ज्वेलरी के विरुद्ध ऋण में कुल मिलाकर 50% से अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

केवल बैंकों की बात करें तो, 104% की वृद्धि दर्ज हुई – जो कि असामान्य थी।

इसी पृष्ठभूमि में RBI ने इन नियमों का मसौदा तैयार किया, ताकि:

  • कर्जदारों के हितों की रक्षा की जा सके।
  • उधारी प्रक्रियाओं में स्पष्टता और पारदर्शिता लाई जा सके।
  • सभी उधारदाताओं द्वारा एक समान तरीके से मूल्यांकन, वजन और शुद्धता की जांच सुनिश्चित की जा सके।

विशेषज्ञ सी.वी. राजेन्द्रन के अनुसार, यह मसौदा ऐसे समय में आया है जब सोने की कीमतों में तेजी और क्रेडिट गैप बढ़ रहा है, और आम जनता, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के लोग, घरेलू सोना गिरवी रखकर तात्कालिक जरूरतों के लिए ऋण ले रहे हैं।

मुख्य बदलाव क्या हैं?

1. LTV (Loan-to-Value) अनुपात अधिकतम 75% पर यथावत रहेगा।

लेकिन अब बुलेट लोन (एकमुश्त भुगतान वाले ऋण) के लिए संचित ब्याज को भी LTV में जोड़ा जाएगा, जिससे उधारी राशि कम हो सकती है।

2. सोने के मालिकाना हक का प्रमाण देना अनिवार्य होगा।

3. 22 कैरेट सोने के मूल्य के आधार पर गिरवी सोने का मूल्यांकन किया जाएगा।

4. सोने की शुद्धता और वजन की जांच के लिए सभी संस्थाओं को एकसमान प्रक्रिया अपनानी होगी।

5. एक ही समय में खपत और आय-सृजन दोनों उद्देश्यों के लिए ऋण लेना निषिद्ध होगा।

6. लोन का नवीनीकरण या टॉप-अप तभी होगा जब पुराना ऋण मानक श्रेणी में हो और LTV अनुपालन में हो।

7. ऋण की परिपक्वता पर मूलधन और ब्याज का पूरा भुगतान करना होगा तभी नया ऋण मिल सकेगा।

8. गिरवी रखा गया सोना यदि समय पर नहीं लौटाया गया, तो ऋणदाता को ₹5,000 प्रतिदिन मुआवजा देना होगा।

इन बदलावों का वित्तीय संस्थाओं पर क्या असर होगा?

उधारकर्ताओं की लचीलापन (Flexibility) में कमी आएगी।

NBFCs को टॉप-अप या नवीनीकरण में कठिनाई होगी।

प्रलेखन (documentation) और मानिटरिंग के कारण कॉम्प्लायंस का बोझ बढ़ेगा।

छोटे NBFCs जो दोबारा गिरवी रखकर (re-pledging) तरलता प्राप्त करते हैं, उनके लिए फंडिंग की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

ऑपरेशनल लागत बढ़ने से ब्याज दरें या शुल्क भी बढ़ सकते हैं।

विशेषज्ञ संकर चक्रवर्ती के अनुसार, यह संभव है कि संस्थान LTV अनुपात में बदलाव कर ऋण राशि घटा दें, जिससे गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की वृद्धि धीमी हो सकती है।

क्या “वन-साइज़-फिट्स-ऑल” नीति व्यावहारिक है?

गोल्ड लोन ग्रामीण और अर्ध-शहरी परिवारों के लिए जीवन रेखा है।

RBI को यह विचार करना चाहिए कि छोटे गोल्ड लोन (जैसे ₹1 लाख तक) और संरचित उच्च-मूल्य गोल्ड लोन के लिए अलग नियम बनाए जाएं।

गोल्ड लोन लेने वाले कर्जदारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

गोल्ड लोन आम तौर पर त्वरित सेवा और लचीले भुगतान विकल्पों के लिए जाना जाता है।

नए निर्देशों के चलते –

LTV में बदलाव से ऋण राशि घट सकती है।

उसी राशि के लिए अधिक सोना गिरवी रखना पड़ सकता है।

ब्याज भुगतान के बिना टॉप-अप या नवीनीकरण संभव नहीं होगा।

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और ETFs को गिरवी collateral के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा, जिससे विकल्प सीमित होंगे।

बढ़ती सोने की कीमतों के बीच क्या ये नियम लाभकारी होंगे?

सोने की कीमतों में वृद्धि से गोल्ड लोन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि की संभावना रहती है।

लेकिन यदि नए मसौदे को वर्तमान रूप में लागू किया गया, तो NBFCs की ग्रोथ थोड़ी धीमी हो सकती है, विशेषकर LTV और टॉप-अप नियमों के कारण।

हालांकि, सोने का मूल्य औसतन 30 दिनों के मूविंग एवरेज के आधार पर तय किया जाता है, जिससे तात्कालिक उतार-चढ़ाव का असर तुरंत नहीं होता।

ये निर्देश जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाएंगे, लोन वितरण में पारदर्शिता लाएंगे, और REs (regulated entities) के बीच समान नियम सुनिश्चित करेंगे। लेकिन RBI को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि छोटे ग्रामीण कर्जदारों पर इन नियमों का प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े।

Source: The Hindu