विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हाल ही में अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान अमेरिकी अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य जून में होने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के आगामी पूर्ण सत्र के संदर्भ में भारत की तैयारियों को मजबूत करना था। भारत इस सत्र में पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की पुरजोर कोशिश करेगा।
अमेरिका से प्रमुख मुलाकातें
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 27 से 29 मई तक चली इस यात्रा के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने कई अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की। इनमें अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट क्रिस्टोफर लांडाउ शामिल थे। इन बैठकों में भारत-अमेरिका संबंधों के तीन मुख्य स्तंभों — तकनीक, व्यापार और प्रतिभा — पर विशेष ध्यान दिया गया।
अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ द ट्रेजरी माइकल फॉलकेंडर के साथ हुई बैठक में दोनों देशों के आर्थिक और वित्तीय संबंधों को गहराने के उपायों पर चर्चा हुई। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सहयोग और FATF की आगामी प्रक्रियाओं में समन्वय पर भी बात हुई।
पाकिस्तान पर भारत का रुख
भारत FATF के जून सत्र में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने का प्रस्ताव रखने वाला है। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ सीधे संबंध हैं, जो भारत में सीमा पार आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। इस कारण पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी के दायरे में लाना आवश्यक है।
भारत विश्व बैंक की ओर से पाकिस्तान को दिए जाने वाले वित्तीय सहायता का भी विरोध कर रहा है, और इस विषय पर भारत ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को मई माह में एक रिपोर्ट सौंपी है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की कूटनीति
विदेश सचिव की अमेरिका यात्रा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक पहल का हिस्सा थी, जो पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई के तहत किया गया था। इस ऑपरेशन के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए साझेदार देशों से समर्थन जुटा रहा है।
अमेरिका की भूमिका और भारत-पाक संघर्ष
इस यात्रा की एक अन्य खास बात यह थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से यह दोहराया कि उन्होंने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय सैन्य टकराव को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “हमने भारत और पाकिस्तान को लड़ने से रोका। मुझे लगता है कि यह एक परमाणु आपदा में बदल सकता था।”
रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग
विदेश सचिव ने अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अंडर सेक्रेटरी जेफ़्री केसलर के साथ बैठक में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने रणनीतिक व्यापार संवाद की अगली बैठक जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमति जताई।
रक्षा क्षेत्र में विदेश सचिव ने डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस स्टीव फाइनबर्ग और पॉलिसी के लिए अंडर सेक्रेटरी एल्ब्रिज कॉल्बी से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने “मजबूत और भविष्य-दृष्टि वाली रक्षा साझेदारी” की प्रतिबद्धता दोहराई। चर्चा में सह-उत्पादन और सह-विकास की पहल, संयुक्त सैन्य अभ्यास, लॉजिस्टिक्स और सूचना साझा करने की व्यवस्था, और सशस्त्र बलों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने जैसे विषय शामिल थे।
Source: The Hindu