ई-हंसा (इलेक्ट्रिक हंसा) विमान का विकास:
भारत ने अगली पीढ़ी के दो-सीटों वाले इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान ‘ई-हंसा’ के विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह विमान सीएसआईआर-एनएएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है।
विमान की लागत:
ई-हंसा की अनुमानित कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये होगी, जो आयातित विकल्पों की कीमत से आधा होने की उम्मीद है।
उद्देश्य और महत्व:
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- यह विमान भारत में पायलट प्रशिक्षण के लिए सस्ते और स्वदेशी विकल्प के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
- ई-हंसा भारत के हरित विमानन लक्ष्यों और स्वच्छ ऊर्जा ईंधन के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्य भूमिका और योगदान:
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- डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान मंत्री ने इस विमान के विकास की जानकारी दी और इसे सीएसआईआर के बेंगलुरु स्थित “राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशाला” (एनएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया बताया।
- ई-हंसा विमान हंसा-3 (एनजी) प्रशिक्षण विमान कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे भारत में पायलट प्रशिक्षण के लिए सस्ता और स्वदेशी विकल्प प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण पर जोर:
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- डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की आवश्यकता पर बल दिया और अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) का आह्वान किया।
- उन्होंने एनआरडीसी को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए डीबीटी-बीआईआरएसी और आईएन-स्पेस के सफल मॉडलों का अनुसरण करने का निर्देश दिया।
वैश्विक विज्ञान प्रतिभा पुल:
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- डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की जैव विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से “वैश्विक विज्ञान प्रतिभा पुल” के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिसमें सर्वश्रेष्ठ वैश्विक शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को आकर्षित किया जाएगा।
सुरक्षा चिंताओं के कारण अस्थायी रोक:
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- सीएसआईआर की सभी 37 प्रयोगशालाओं को छात्रों के लिए खोले जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन हाल ही में सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे अस्थायी रूप से रोका गया था। यह गतिविधि जल्द ही पुनः शुरू होगी।
द्विपक्षीय विज्ञान सहयोग:
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- डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्विट्जरलैंड और इटली जैसे देशों द्वारा भारत के साथ द्विपक्षीय विज्ञान सहयोग केंद्र स्थापित करने की रुचि का संकेत दिया। वे भारत-फ्रांस और भारत-जर्मन विज्ञान केंद्रों के समान साझेदारी की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए भारत का योगदान:
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- ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन में गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से संबंधित सात प्रयोग शामिल होंगे, जो भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में पहुंच और विशेषज्ञता को बढ़ावा देंगे।
Source: DD News