पूर्वोत्तर दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार का प्रवेश द्वार बनेगा: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का उत्तर-पूर्व अब “सीमांत क्षेत्र” नहीं है, बल्कि यह “विकास की अग्रणी दिशा” बन चुका है। उन्होंने 8 राज्यों वाले इस क्षेत्र में निवेश के लिए आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र में बायो-इकोनॉमी, बांस, चाय उत्पादन, पेट्रोलियम, खेल और इको-टूरिज़्म जैसे क्षेत्रों में बड़े अवसर हैं। उन्होंने इसे “ऊर्जा का पावरहाउस” भी कहा।

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और लाओस को सीधे जोड़ने के लिए संपर्क परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इन परियोजनाओं से उत्तर-पूर्व क्षेत्र को इंडो-पैसिफिक देशों में एक नई व्यावसायिक पहचान मिलेगी। मोदी ने कहा कि भारत की सरकार ने “लुक ईस्ट” नीति से “एक्ट ईस्ट” नीति में बदलाव किया है, जिससे उत्तर-पूर्व क्षेत्र में विकास की गति तेज़ हुई है। केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले एक दशक में 700 से अधिक बार इस क्षेत्र का दौरा किया है।

मार्च में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस ने उत्तर-पूर्व को “लैंड लॉक्ड” (भूमिगत क्षेत्र) बताया था, और अपने देश को चीन को इस क्षेत्र तक पहुंच प्रदान करने वाला “सुरक्षारक्षक” बताया था। भारत ने इस टिप्पणी को “आपत्तिजनक और निंदा योग्य” करार दिया। प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व की विविधता की सराहना की, जो व्यापार से लेकर परंपरा, वस्त्रों से लेकर पर्यटन तक फैली हुई है।

Source: The Hindu