तमिलनाडु पुलिस द्वारा अज्ञात शव की पहचान के लिए आधार डाटा मांगे जाने पर UIDAI ने दाखिल किया जवाब
मद्रास हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने स्पष्ट किया कि किसी मृत व्यक्ति की पहचान के लिए उसके फिंगरप्रिंट्स को आधार डेटाबेस से मिलाकर उसकी जनसांख्यिकी जानकारी (demographic details) निकालना तकनीकी रूप से असंभव है। यह बयान UIDAI ने तमिलनाडु पुलिस द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दिया है, जिसमें एक अज्ञात शव की पहचान के लिए आधार से संबंधित जानकारी मांगी गई थी।
क्या था मामला?
तमिलनाडु राज्य की ओर से तिंडिवनम सब डिवीजन, विल्लुपुरम जिले के एक उप पुलिस अधीक्षक (DySP) ने एक आपराधिक रिट याचिका दायर की थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि UIDAI को निर्देश दिया जाए कि वह एक अज्ञात शव की उंगलियों के निशान के आधार पर उसकी जनसांख्यिकी जानकारी उपलब्ध कराए।
UIDAI का जवाब
जस्टिस जी.के. इलंथिरैयन की अदालत में दायर एक काउंटर एफिडेविट (प्रत्युत्तर हलफनामा) में UIDAI ने कहा कि आधार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत जानकारी साझा करने पर कड़े प्रतिबंध हैं। इसके अलावा, मृत व्यक्तियों के संबंध में जानकारी निकालने में तकनीकी बाधाएं भी हैं।
कानूनी प्रतिबंध और गोपनीयता
UIDAI की डिप्टी डायरेक्टर प्रिया श्रीकुमार द्वारा हस्ताक्षरित एफिडेविट में बताया गया कि आधार अधिनियम की धारा 29(1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मुख्य बॉयोमेट्रिक जानकारी — जैसे कि उंगलियों के निशान और आईरिस स्कैन — को किसी भी परिस्थिति में किसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता और ना ही इनका प्रयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा सकता है सिवाय आधार संख्या के निर्माण और प्रमाणीकरण के।
धारा 33 और राष्ट्रीय सुरक्षा
एफिडेविट में आगे बताया गया कि केवल धारा 33(1) के तहत पहचान से जुड़ी जानकारी या प्रमाणीकरण रिकॉर्ड को साझा किया जा सकता है — वह भी तभी जब उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ऐसा करने का विशेष आदेश दे, और उस आदेश से पहले संबंधित व्यक्ति और UIDAI दोनों को सुना जाए।
धारा 33(2) के अंतर्गत केवल ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के मद्देनजर विशेष परिस्थिति में ही कोर बॉयोमेट्रिक जानकारी साझा की जा सकती है, और इसके लिए भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा विशेष रूप से अधिकृत आदेश की आवश्यकता होती है।
फॉरेंसिक उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है आधार प्रणाली
UIDAI ने यह भी बताया कि आधार प्रणाली द्वारा जो बॉयोमेट्रिक डेटा एकत्र किया जाता है, वह फॉरेंसिक (न्यायिक परीक्षण) उद्देश्यों के लिए उपयुक्त तकनीक या मानकों के आधार पर नहीं होता। इसलिए किसी मृत शरीर से प्राप्त उंगलियों के निशानों को आधार डेटाबेस से मिलाना संभव नहीं है।
1:1 प्रमाणीकरण प्रणाली
UIDAI ने स्पष्ट किया कि आधार प्रणाली केवल 1:1 प्रमाणीकरण के आधार पर कार्य करती है, यानी किसी व्यक्ति के बॉयोमेट्रिक्स को उसी व्यक्ति के आधार नंबर से जुड़ी जानकारी से मिलाकर उसकी पुष्टि की जाती है। यदि किसी व्यक्ति का आधार नंबर ही उपलब्ध नहीं है, तो प्रमाणीकरण तकनीकी रूप से संभव नहीं है।
अदालत की अगली सुनवाई
एफिडेविट को रिकॉर्ड पर लेने के बाद न्यायमूर्ति इलंथिरैयन ने निर्देश दिया कि यह मामला अब 12 जून को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
Source: The Hindu