यह दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, लेकिन हर रहस्य विशाल नहीं होता। हां, हम यह नहीं जानते कि “मन” वास्तव में क्या है या “ब्लैक होल के अंदर कैसा दिखता है”, लेकिन कई छोटे-छोटे रहस्य भी छिपे होते हैं जिनका समाधान वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना रहता है।
इन्हीं में से एक रहस्य यह है कि सूर्य के अंदर मौजूद लोहा (Iron) इतना अधिक अपारदर्शी (opaque) क्यों है?
सूर्य के भीतर लोहे की अपारदर्शिता का रहस्य
हम अपने चारों ओर ठोस लोहे की वस्तुएं देखते हैं। दरवाजों के हैंडल, रसोई के बर्तन, फर्नीचर, पानी की टंकियां – सभी लोहे से बनी होती हैं और पूरी तरह से अपारदर्शी होती हैं। जब प्रकाश किसी लोहे की वस्तु से टकराता है, तो वह उसे पार नहीं कर सकता। बल्कि, प्रकाश का कुछ हिस्सा अवशोषित (absorbed) हो जाता है और कुछ बिखर (scattered) जाता है।
किसी वस्तु द्वारा अवशोषित प्रकाश की मात्रा को उसकी अपारदर्शिता (opacity) कहते हैं – जितना अधिक अवशोषण, उतनी अधिक अपारदर्शिता।
हालांकि, लोहे की अपारदर्शिता दरवाजे के हैंडल बनाने में कोई खास मायने नहीं रखती, लेकिन जब हम सूर्य जैसे विशाल तारे की बात करते हैं, तो इसका प्रभाव अंतरिक्षीय स्तर पर हो सकता है।
सूर्य पृथ्वी के सबसे निकटतम तारा है और इसी कारण मानव जाति ने इसे सबसे अधिक अध्ययन किया है।
सूर्य के अध्ययन के दो प्रमुख स्तर
- पहला स्तर – वैज्ञानिकों ने विभिन्न सिद्धांत विकसित किए, जो यह बताते हैं कि सूर्य की विशेषताएँ क्या हैं। दशकों तक, वैज्ञानिकों ने दूरबीनों, डिटेक्टरों और एंटेना की सहायता से सूर्य से निकलने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण (electromagnetic radiation), आवेशित कण (charged particles), ऊष्मा (heat) आदि का अध्ययन किया और सिद्धांतों की तुलना डेटा से की। गलत सिद्धांतों को खारिज किया गया और सही सिद्धांतों को परिष्कृत किया गया।
- दूसरा स्तर – सूर्य सिर्फ एक प्रकार का तारा है, जबकि ब्रह्मांड में कई तरह के तारे मौजूद हैं। तारों के गुणों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने मॉडल विकसित किए, जो उनकी ऊष्मा और ऊर्जा उत्पादन, उनके चुम्बकीय क्षेत्र, घूर्णन (rotation), सतह पर होने वाले भूकंप (stellar quakes), सौर धब्बों (sunspots) और सौर ज्वालाओं (solar flares) जैसी घटनाओं की व्याख्या करते हैं।
तारों की भूमिका ब्रह्मांड में क्यों महत्वपूर्ण है?
- जब तारे बनते हैं, तो वे अपने चारों ओर ग्रहों के निर्माण की संभावना को जन्म देते हैं।
- तारे प्रकाश, ऊष्मा और चुम्बकीय सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- तारे क्षुद्रग्रहों (asteroids) और धूमकेतुओं (comets) को विक्षेपित करते हैं।
- जब तारे मरते हैं, तो वे ब्रह्मांड में भारी तत्व (metals and elements) छोड़ते हैं, जो किसी अन्य प्राकृतिक प्रक्रिया से नहीं बनते।
इन प्रभावों के कारण, तारों की विशेषताएँ ब्रह्मांड के ढांचे (structure) और विकास (evolution) को प्रभावित करती हैं। इसलिए, वैज्ञानिक मॉडल ब्रह्मांड के विकास का सटीक पूर्वानुमान तभी लगा सकते हैं जब वे तारों के गुणों को सही ढंग से समझें।
सूर्य में मौजूद तत्वों की मात्रा और उनकी गूढ़ समस्या
2010 के दशक के मध्य तक की स्वतंत्र अध्ययन रिपोर्टों में यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि सूर्य में कार्बन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की मात्रा 30-50% कम हो सकती है, जो कि मौजूदा मॉडलों की भविष्यवाणी से मेल नहीं खाती।
वैज्ञानिक मॉडलों की जटिलता
- ये मॉडल सूर्य की चमक (brightness) और परमाणु संलयन (nuclear fusion) से उत्पन्न न्यूट्रिनो (neutrinos) की मात्रा जैसी भविष्यवाणियाँ सटीक रूप से कर चुके हैं।
- इतने जटिल हो चुके हैं कि इन्हें चलाने के लिए अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर की जरूरत होती है।
- वैज्ञानिकों ने पहले सोचा कि यह अंतर गणनाओं में त्रुटि (measurement error) के कारण है, लेकिन 2015 की एक महत्वपूर्ण अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि:“अगर सूर्य के आंतरिक पदार्थ की वास्तविक अपारदर्शिता (opacity) मौजूदा भविष्यवाणियों की तुलना में 15% अधिक हो, तो यह समस्या हल हो सकती है।”
लोहे की अपारदर्शिता पर अध्ययन
2015 के एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लोहे के प्लाज्मा को सूर्य के विकिरण/संवहन (radiation/convection) क्षेत्र की सीमा जैसी स्थितियों में रखा। उन्होंने पाया कि आयरन की अपारदर्शिता 30-400% अधिक थी।
2024 की शुरुआत में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में हेलियोसिस्मिक (helioseismic) तकनीक से निकाले गए “अपारदर्शिता प्रोफाइल” की रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि –
- सूर्य के अंदर 20 लाख डिग्री तापमान पर लोहे की अपारदर्शिता 10% अधिक थी।
- लेकिन कुछ अन्य हालिया गणनाओं की तुलना में 35% कम थी।
नवीनतम प्रयोग और निष्कर्ष
3 मार्च 2024 को Physical Review Letters में प्रकाशित एक अध्ययन में अमेरिका और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को गहराई से जांचने के लिए सैंडिया नेशनल लेबोरेटरीज (Sandia National Laboratories, USA) में एक प्रयोग किया।
उन्होंने –
- एक पतली लोहे की परत को एक्स-रे (X-rays) से प्रभावित किया।
- स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से उस लोहे की छाया (X-ray shadow) देखी।
- अल्ट्राफास्ट एक्स-रे कैमरों का उपयोग किया, जो हर सेकंड एक अरब से अधिक बार तापमान और घनत्व परिवर्तनों को रिकॉर्ड कर सकते थे।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- लोहे की अपारदर्शिता को पहले से अधिक मापा गया।
- नए माप ने यह पुष्टि की कि समस्या मौजूदा सैद्धांतिक मॉडल में थी, न कि डेटा में।
- इस अध्ययन से साबित हुआ कि पहले के मॉडल आयरन की अपारदर्शिता को कम आंक रहे थे।
यह खोज न केवल सूर्य की संरचना और ऊर्जा प्रवाह को समझने में मदद करेगी, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड में तारों के विकास और उनके प्रभाव को अधिक सटीक रूप से समझने में भी सहायक होगी।
Source: The Hindu