अस्थिर योजनाएँ: ट्रंप के कांग्रेस संबोधन और उनकी नीतियों पर एक विश्लेषण

प्रस्तावना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र को अपने पहले संबोधन में कई प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिनमें उनकी प्रशासनिक नीतियाँ और उनकी वैश्विक नीतियों का प्रभाव भी शामिल था। इस संबोधन में उन्होंने विशेष रूप से उस व्यापार युद्ध को और अधिक आक्रामक बनाने की अपनी मंशा व्यक्त की, जिसे अमेरिका ने भारत, चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर 25% या उससे अधिक टैरिफ लगाकर शुरू किया था। उनकी इस नीति ने न केवल वैश्विक व्यापार संतुलन को अस्थिर किया, बल्कि कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को झटके भी दिए।

प्रशासनिक उपलब्धियों का जोरदार उल्लेख

अपने संबोधन के दौरान, जब कई डेमोक्रेटिक सांसदों ने विरोध स्वरूप वॉकआउट किया, तब भी ट्रंप ने अपनी सरकार के अब तक के कार्यों को “तेजी और बिना रुके किए गए निर्णयों” के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने 100 कार्यकारी आदेशों (एक्जीक्यूटिव ऑर्डर) और 400 प्रशासनिक कार्रवाइयों (एग्जीक्यूटिव एक्शंस) को उनकी नीतियों की प्रभावशीलता के प्रमाण के रूप में पेश किया। उन्होंने उन विषयों को प्रमुखता दी, जो अमेरिकी मतदाताओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि ऊर्जा लागत को कम करना और “यूक्रेन में क्रूर संघर्ष को समाप्त करने के लिए अथक प्रयास” करना। हालांकि, उनके इन दावों की वास्तविकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि उनकी कई नीतियाँ दीर्घकालिक रणनीति से अधिक अल्पकालिक लाभ पर केंद्रित दिखती हैं।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अमेरिका की वापसी

अपने संबोधन के आरंभ में ही ट्रंप ने अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से हटने की बात दोहराई। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि उनकी सरकार बहुपक्षीय सहयोग (multilateral cooperation) की बजाय एकतरफा (unilateral) नीतियों पर जोर दे रही है। अमेरिका के इन संगठनों से अलग होने का प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिल सकता है, खासकर उन विकासशील देशों पर, जो अमेरिकी सहायता और सहयोग पर निर्भर रहते हैं।

ऊर्जा नीति: ‘ड्रिल, बेबी, ड्रिल’ का नारा

ट्रंप ने अपनी ऊर्जा नीतियों को स्पष्ट रूप से उजागर करते हुए कहा कि उनकी सरकार “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” के मंत्र को अपनाकर जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) के दोहन को प्राथमिकता देगी। उन्होंने इसे ऊर्जा कीमतों को कम करने का एकमात्र तरीका बताया। हालाँकि, उनके इस दृष्टिकोण की आलोचना की जा रही है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को अनदेखा करता है और अक्षय ऊर्जा स्रोतों (renewable energy sources) के विकास को हाशिए पर धकेलता है।

सांस्कृतिक लड़ाई और ‘वोक’ संस्कृति पर हमला

अपने संबोधन में ट्रंप ने अमेरिकी समाज में चल रही सांस्कृतिक लड़ाइयों को भी छुआ। उन्होंने “वोक” (woke) संस्कृति की आलोचना की और विशेष रूप से महिलाओं के खेलों में ट्रांसजेंडर पुरुषों की भागीदारी को रोकने पर जोर दिया। यह मुद्दा उनके चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रमुख रहा था, और उन्होंने इसे अपने प्रशासन की नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है।

DOGE: सरकारी दक्षता विभाग और विवादित सुधार

ट्रंप ने अपने भाषण में एलन मस्क के नेतृत्व वाले नए विभाग, “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” (DOGE) का उल्लेख किया, जो सरकारी खर्चों में धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोकने के लिए बनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस विभाग ने पहले ही “सैकड़ों अरब डॉलर” की धोखाधड़ी का पता लगाया है। हालाँकि, इस विभाग के गठन से कई विवाद भी खड़े हो गए हैं, क्योंकि इसके तहत सरकारी डेटा तक अभूतपूर्व पहुँच प्रदान की जा रही है। इसके कारण गोपनीयता और सरकारी पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएँ जताई जा रही हैं।

ट्रंप की नीतियों में आत्मघाती रणनीति?

ट्रंप प्रशासन की कई नीतियाँ ऐसी हैं, जो अल्पकालिक लाभ दे सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से अमेरिका को ही नुकसान पहुँचा सकती हैं।

  1. व्यापार युद्ध और टैरिफ की बढ़ोतरी:
    ट्रंप की संरक्षणवादी (protectionist) व्यापार नीति के तहत लगाए गए ऊँचे टैरिफ से अमेरिका में आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे मुद्रास्फीति (inflation) बढ़ने की आशंका है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन ट्रंप समर्थकों के बीच यह चेतावनी अनसुनी ही रही है।
  2. यूक्रेन को सैन्य सहायता में कटौती:
    ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को सैन्य सहायता “रोकने” की बात कर रहा है, जिससे अमेरिका की रक्षा नीति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। हालाँकि इससे अमेरिका की सैन्य लागत में कटौती हो सकती है, लेकिन इससे रूस की आक्रामकता को बढ़ावा मिल सकता है और यूरोप में अमेरिकी नेतृत्व की साख को कमजोर कर सकता है।

बढ़ती राजनीतिक ध्रुवता और अमेरिका का भविष्य

2024 का राष्ट्रपति चुनाव यह दर्शाता है कि अमेरिका में राजनीतिक और वैचारिक विभाजन (partisan divide) बहुत गहरा हो चुका है। ट्रंप ने अपने भाषण में जिस आक्रामक शैली को अपनाया और जिस प्रकार से विभाजनकारी नीतियों पर जोर दिया, उससे यह संभावना कम ही दिखती है कि अगले चार वर्षों में यह खाई पाटी जा सकेगी। उनके प्रशासन की दिशा यह संकेत देती है कि आने वाले समय में अमेरिका में नीतिगत अस्थिरता बनी रह सकती है, जिसका असर वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा।

Source: The Hindu

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