पश्चिम अफ्रीका में सोने की अधिकता क्यों है?
पश्चिम अफ्रीका में सोने की भरपूर मात्रा का कारण भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ और पृथ्वी के इतिहास में हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हैं। हालाँकि, वैज्ञानिक इस विषय पर पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस पर कई सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं।
सोना, अन्य सभी तत्वों की तरह, उच्च ऊर्जा वाले ब्रह्मांडीय घटनाओं के परिणामस्वरूप बना था। माना जाता है कि लगभग 13 अरब वर्ष पहले जब ब्रह्मांड का निर्माण हो रहा था, तब विभिन्न अंतरिक्षीय प्रक्रियाओं में सोना उत्पन्न हुआ।
हालाँकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि केवल सोने का निर्माण ही पर्याप्त नहीं था, बल्कि इसे पृथ्वी की चट्टानों में जमा होने के लिए विशेष भूगर्भीय प्रक्रियाएँ आवश्यक थीं। सोने के जमाव के पीछे मुख्यतः दो सिद्धांत माने जाते हैं।
सोने के जमाव से जुड़े सिद्धांत
1. प्रारंभिक भूगर्भीय गतिविधियाँ (Accretionary Tectonics) सिद्धांत
भूवैज्ञानिक रिचर्ड जे. गोल्डफार्ब के अनुसार, लगभग 3 अरब वर्ष पहले जब महाद्वीपों का विस्तार हो रहा था और वे अपनी वर्तमान संरचना में आकार ले रहे थे, तब सोने का बड़ा भंडार कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में जमा हुआ।
- जब छोटे द्वीपों या भूभागों की टक्कर बड़ी स्थलीय संरचनाओं से हुई, तो यह प्रक्रिया अवसादन टेक्टोनिक्स (Accretionary Tectonics) के रूप में जानी गई।
- इन टक्करों के दौरान खनिजों से भरपूर तरल पदार्थ पृथ्वी की पर्पटी (क्रस्ट) में गहराई तक प्रवेश कर गए।
- इन प्रक्रियाओं से कुछ विशेष स्थानों पर सोने का संकेन्द्रण (gold mineralisation) हुआ।
2. फैनरोज़ोइक अवधि का सोने का निर्माण सिद्धांत
एंड्रयू टॉमकिन्स नामक ग्रह वैज्ञानिक ने एक नया सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो अपेक्षाकृत हाल की अवधि (फैनरोज़ोइक – Phanerozoic Period, लगभग 650 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान सोने के निर्माण को समझाने का प्रयास करता है।
- इस अवधि में पृथ्वी के महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी।
- इस ऑक्सीजन ने एक अन्य खनिज पाइराइट (Pyrite – जिसे अक्सर “फूल्स गोल्ड” कहा जाता है) के भीतर सूक्ष्म कणों के रूप में सोने को कैद कर लिया।
- बाद में, महाद्वीपीय विकास (accretion) और भूगर्भीय ताप तथा दाब (heat and pressure) जैसे प्रक्रियाओं के कारण यह सोना पाइराइट से मुक्त होकर खनन योग्य भंडारों का निर्माण करने लगा।
पश्चिम अफ्रीका में सोने के भंडार और उनके स्रोत
अधिकांश पश्चिम अफ्रीकी देशों में सोने का उत्पादन और भंडार पश्चिम अफ्रीकी क्रेटन (West African Craton) के भीतर स्थित हैं।
पश्चिम अफ्रीकी क्रेटन क्या है?
- यह दुनिया की सबसे पुरानी भूगर्भीय संरचनाओं में से एक है, जो अरबों वर्षों से अपेक्षाकृत अपरिवर्तित बनी हुई है।
- इस क्रेटन का विस्तार माली, घाना, बुर्किना फासो, कोटे डी’आइवोरे (Ivory Coast), गिनी, सेनेगल और मौरितानिया तक फैला हुआ है।
- जिन देशों में महत्वपूर्ण सोने के भंडार हैं, उनके लगभग 50% भूभाग इस क्रेटन के अंतर्गत आते हैं।
- उदाहरण के लिए, घाना, माली और कोटे डी’आइवोरे का 35% से 45% भूभाग इस क्रेटन पर स्थित है। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में सोने की खोज पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
पश्चिम अफ्रीका में सोने का निर्माण कैसे हुआ?
पश्चिम अफ्रीका के क्रेटन चट्टानों में सोने के भंडार एक प्रमुख भूगर्भीय घटना एबुर्नेयन ओरोजेनी (Eburnean Orogeny) के दौरान बने।
- यह घटना 2.2 अरब से 2.08 अरब वर्ष पहले हुई थी।
- इस समय महाद्वीपीय संरचना में बदलाव, उच्च तापमान और दबाव ने सोने के खनिजीकरण (gold mineralisation) को बढ़ावा दिया।
- अधिकांश सोने के संसाधन प्राचीन रियासियन बीरिमियन ग्रेनाइटोइड-ग्रीनस्टोन बेल्ट (Rhyacian Birimian granitoid-greenstone belts) में पाए जाते हैं, जो 2.3 अरब से 2.05 अरब वर्ष पहले ज्वालामुखी और टेक्टोनिक प्रक्रियाओं के कारण बने थे।
- घाना और माली के ग्रीनस्टोन बेल्ट इस क्षेत्र में सबसे समृद्ध माने जाते हैं।
पश्चिम अफ्रीका में सोने का उत्पादन
- घाना: 1,000 मीट्रिक टन सोने का भंडार, जिसमें हर साल 90 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है (जो वैश्विक उत्पादन का 7% है)।
- माली: 800 मीट्रिक टन का अनुमानित सोने का भंडार, 2023 में 67.7 टन का उत्पादन।
- दुनिया के सबसे बड़े सोने उत्पादक:
- चीन: 2023 में 370 मीट्रिक टन
- ऑस्ट्रेलिया: 2023 में 310 मीट्रिक टन
सोने की खोज की प्राचीन और आधुनिक तकनीकें
1. पारंपरिक खोज तकनीकें
- नदी की तलछट से सोने का पैनिंग (Gold Panning): नदी के तलछट को पानी में हिलाकर भारी सोने के कणों को अलग किया जाता था।
- उथली खदानें खोदकर सोने के अयस्क (ores) निकालना।
2. आधुनिक खोज तकनीकें
- भू-रासायनिक अन्वेषण (Geochemical exploration)
- भू-भौतिकी सर्वेक्षण (Geophysical Surveys)
- सायनाइड लीचिंग (Cyanide Leaching) जैसी रासायनिक विधियाँ
3. मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग का उपयोग
- हाल के वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और गहन शिक्षण (Deep Learning) तकनीकों ने सोने की खोज को और अधिक प्रभावी बना दिया है।
- अब भूगर्भीय डेटा का विश्लेषण करके ऐसे क्षेत्रों को पहचाना जा सकता है जहाँ सोने की उपस्थिति की संभावना अधिक है।
- यह विधि पारंपरिक मानवीय अनुमान-आधारित मानचित्रण की तुलना में अधिक सटीक और किफायती साबित हो रही है।
4. स्थिर समस्थानिक (Stable Isotopes) का उपयोग
- यह एक नई विधि है, जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन जैसे स्थिर समस्थानिकों का अध्ययन किया जाता है।
- ये समस्थानिक सोने के वहन में सहायक होते हैं और चट्टानों में अपनी विशिष्ट पहचान छोड़ते हैं।
- वैज्ञानिक इन संकेतों को पहचानकर सोने की संभावित उपस्थिति का पता लगा सकते हैं।
निष्कर्ष
पश्चिम अफ्रीका में सोने की प्रचुरता भूगर्भीय इतिहास और भूगर्भीय प्रक्रियाओं का परिणाम है। आधुनिक तकनीकों और मशीन लर्निंग जैसे नवाचारों से सोने की खोज में नए आयाम जुड़ रहे हैं। सोने की खोज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से न केवल लागत में कमी आई है, बल्कि सफलता की दर भी बढ़ी है।