असम में जनवरी 2025 की शुरुआत में एक कोयला खदान में आई बाढ़ के कारण 44 दिनों तक चले बचाव अभियान के अंत में नौ खनिकों के अवशेष बरामद किए गए थे। अब, एक समान त्रासदी तेलंगाना के नागरकुरनूल में सामने आई है। 22 फरवरी 2025 को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल सुरंग, जो निर्माणाधीन थी, का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया, जिससे आठ श्रमिक अंदर फंस गए।
दुर्घटना कैसे हुई?
अब तक की जानकारी के अनुसार, सुरंग की छत का तीन मीटर का हिस्सा पानी के रिसाव के कारण गिर गया। इसके बाद, सुरंग का करीब आठ मीटर का हिस्सा ढह गया। इस समय केंद्र और राज्य सरकारों की नौ विशेष बचाव टीमें लगातार काम कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
बचाव कार्य और चुनौतियाँ
बचाव अभियान के लिए उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में नवंबर 2023 में हुई सिल्कयारा सुरंग दुर्घटना को एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। सिल्कयारा में चार किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा गिर गया था, जिससे 41 मजदूर अंदर फंस गए थे। उस समय, विभिन्न रणनीतियों का उपयोग किया गया था, जिनमें क्षैतिज (horizontally) और लंबवत (vertically) खुदाई शामिल थी। अंततः असम के ‘रैट होल’ खनिकों ने सफलतापूर्वक मजदूरों तक पहुँचने का काम पूरा किया।
हालांकि, सिल्कयारा और श्रीशैलम दुर्घटनाओं में एक महत्वपूर्ण अंतर है—जल संकट। श्रीशैलम सुरंग दुर्घटना के समय कुल 70 मजदूर अंदर थे, जब अचानक पानी और कीचड़ की बाढ़ आई। इनमें से 62 किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहे, हालांकि 13 को चोटें आईं। लेकिन शेष आठ मजदूर अभी भी अंदर फंसे हुए हैं। बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा निरंतर बहता हुआ पानी है, जिससे सुरंग में प्रवेश करना कठिन हो गया है।
वैश्विक दृष्टिकोण और भूवैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता
दुनियाभर में सुरंगों से जुड़ी दुर्घटनाएँ दुर्लभ होती हैं, लेकिन जब होती हैं, तो वे अत्यंत गंभीर हो सकती हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि इन दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण भूमिगत जल चैनलों (aquifers) में आई दरारें होती हैं। ऐसे खतरों का पूर्वानुमान लगाने के लिए विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक होते हैं, ताकि निर्माण कार्य शुरू करने से पहले संभावित जोखिमों का आकलन किया जा सके।
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, सिल्कयारा दुर्घटना स्थल पर चट्टानों के स्वरूप का समुचित विश्लेषण नहीं किया गया था। रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि सुरंग खुदाई शुरू करने से पहले किसी क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना संभव नहीं होता।
सुरक्षा उपाय और भविष्य की योजनाएँ
श्रीशैलम सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना प्राथमिकता है, लेकिन इस घटना की गहन जांच भी आवश्यक है। यदि जांच में यह सिद्ध होता है कि पूर्व-निर्माण अध्ययन में लापरवाही बरती गई थी, तो दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- सुरंग निर्माण से पहले विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन कराना।
- संभावित जल रिसाव की समस्या का विश्लेषण कर निवारक उपाय लागू करना।
- आपातकालीन बचाव दलों को पहले से प्रशिक्षित करना और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करना।
- निर्माण कंपनियों को सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य करना।
- भविष्य की परियोजनाओं में जल अवरोधन (waterproofing) और जल निकासी (drainage) की बेहतर तकनीकों का उपयोग करना।
श्रीशैलम दुर्घटना ने एक बार फिर यह दिखाया है कि बुनियादी ढांचे के विकास में सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है। यदि सतर्कता नहीं बरती गई, तो ऐसी आपदाएँ दोहराई जा सकती हैं, जिससे न केवल जान-माल का नुकसान होगा, बल्कि परियोजनाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगेगा।
Source: The Hindu