विवाद की शुरुआत
दिसंबर 2023 में सरकार ने नया कानून लाकर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया बदल दी।
यह कानून सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 19 फरवरी तक टाल दी है।
नवीनतम नियुक्तियाँ और विवाद
विपक्ष के नेता राहुल गांधी के अनुरोध को अनदेखा कर सरकार ने ग्यानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया।
विवेक जोशी को तीसरे चुनाव आयुक्त के रूप में शामिल किया गया।
यह नियुक्तियाँ पूर्व CEC राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति के बाद की गईं।
3. 2022 के सुप्रीम कोर्ट फैसले से टकराव
2022 में संविधान पीठ ने आदेश दिया था कि CEC और EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश (CJI) की समिति द्वारा होनी चाहिए।
2023 के कानून में CJI की जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया गया।
4. सरकार और याचिकाकर्ताओं के तर्क
सरकार का पक्ष:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति केवल अस्थायी समाधान था।
संविधान में पहले से ही संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं का तर्क:
चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया सरकार के प्रभाव से मुक्त होनी चाहिए।
नई समिति में सरकार को 2:1 का बहुमत मिल जाता है, जिससे स्वतंत्रता पर सवाल उठते हैं।
5. पिछली नियुक्तियों पर भी विवाद
2022 में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान ही अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाया गया।
मार्च 2024 में आम चुनाव से पहले दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति हुई।
सुप्रीम कोर्ट समय पर दखल नहीं देता, जिससे सरकार की नियुक्तियाँ निश्चित रूप से लागू (fait accompli) हो जाती हैं।
6. चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर असर
जनता की नजरों में चुनाव आयोग की निष्पक्षता कम होती जा रही है।
अगर पूरी जनता चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष नहीं मानेगी, तो लोकतंत्र कमजोर होगा।
सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर जल्द निर्णय लेना चाहिए, ताकि चुनाव आयोग वास्तव में स्वतंत्र रह सके।