केंद्रीय बजट 2025 और शिक्षा: एक विस्तृत विश्लेषण

 

केंद्रीय बजट 2025 में शिक्षा क्षेत्र को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घोषणाओं में शिक्षा के लिए एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना (₹500 करोड़ का आवंटन), स्कूलों के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, पाँच तीसरी पीढ़ी के IITs का विस्तार और भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge Systems) के लिए बढ़ा हुआ फंड शामिल हैं। कुल मिलाकर, पिछले साल के संशोधित अनुमानों (Revised Estimates – RE) की तुलना में इस वर्ष शिक्षा के लिए अधिक आवंटन किया गया है।

उच्च शिक्षा में सुधार और वित्तीय चुनौतियाँ

  • उच्च शिक्षा के लिए 7% अधिक बजट आवंटन किया गया है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि 2023-24 में वास्तविक खर्च 2025-26 के बजट अनुमान से 10% अधिक था।
  • भारत में उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा प्रस्तावित सुधार बेहद महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन ये सुधार उच्च वित्तीय संसाधनों की मांग करते हैं।

इनमें कुछ मुख्य सुधार इस प्रकार हैं:

चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम की शुरुआत

  • छात्रों को अलग-अलग संस्थानों से कोर्स करने की स्वतंत्रता
  • द्विवार्षिक (Bi-annual) प्रवेश प्रणाली
  • संरचनात्मक बदलाव, जिनके लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों की जरूरत होगी

हालाँकि, बजट 2025 में इन सुधारों के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान नहीं दिखते। उच्च शिक्षा में ये बड़े बदलाव मुख्य रूप से राज्य सरकारों पर वित्तीय भार डालेंगे, क्योंकि अधिकांश विश्वविद्यालय और कॉलेज राज्यों के अधीन आते हैं।

स्कूली शिक्षा में निवेश और प्राथमिक शिक्षा की चुनौतियाँ

  • बजट 2025 में स्कूली शिक्षा के लिए ₹11,000 करोड़ का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जो 16% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • हालाँकि, कुल बजट के अनुपात में यह वृद्धि सिर्फ 0.12 प्रतिशत अंक की है, जिससे शिक्षा का कुल आवंटन 1.55% हो गया है।
  • दूसरी ओर, उच्च शिक्षा के बजट का प्रतिशत (0.99%) जस का तस बना हुआ है।
  • हाल ही में जारी ASER 2024 रिपोर्ट ने भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण हुई सीखने की हानि (Learning Losses) की भरपाई हो चुकी है, और कुछ मामलों में फाउंडेशनल लिटरसी और न्यूमेरसी (FLN) स्तर अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गए हैं।
  • इसके बावजूद, भारत अभी भी पूर्ण FLN (Foundational Literacy and Numeracy) लक्ष्य से पीछे है, जिसे 2026-27 तक NIPUN भारत योजना के तहत हासिल किया जाना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और प्रारंभिक शिक्षा की चुनौतियाँ

  • केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन पर जोर दे रही है, जिसमें 5+3+3+4 संरचना शामिल है।
  • इस प्रणाली के तहत पहली कक्षा से पहले के पाँच वर्षों (बाल शिक्षा सहित) पर अधिक ध्यान दिया गया है, क्योंकि शुरुआती वर्षों की शिक्षा FLN लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी मानी जाती है। हालाँकि, इसमें एक गंभीर खाई (Gap) है:
  • पहली कक्षा से पहले के दो वर्षों की शिक्षा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दी जाती है, जिनका वेतन कम होता है।
  • ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही अत्यधिक कार्यभार से जूझ रही हैं, और इनमें से कई को FLN लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिला है।

आगे की राह: भारत के लिए स्कूली शिक्षा में निवेश क्यों जरूरी है?

  • FLN लक्ष्यों को प्राप्त करना भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) का पूरा उपयोग करने के लिए अनिवार्य है।
  • यदि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मजबूत होगी, तो आगे चलकर वे बेहतर कौशल विकसित कर पाएंगे और भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकेंगे।
  • अगले कुछ वर्षों में, सरकार को स्कूली शिक्षा में निवेश और बढ़ाना होगा ताकि भारत समय पर अपना पूर्ण FLN लक्ष्य हासिल कर सके।
  • शिक्षा में सुधार की दिशा में समय बहुत महत्वपूर्ण कारक है, और सरकार को चाहिए कि वह नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए संसाधनों में और वृद्धि करे।

Source: The Hindu