भारत का आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: एक विस्तृत विश्लेषण

भारत का आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25

भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती से आगे बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी 6.3% से 6.8% तक बढ़ने का अनुमान है। वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी (Real GDP) की वृद्धि दर 6.4% रहने की उम्मीद है, जो पिछले दस वर्षों की औसत वृद्धि दर के करीब है।

आर्थिक विकास के प्रमुख पहलू

1. पूंजीगत व्यय (Capex) में वृद्धि

भारत सरकार ने बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। जुलाई-नवंबर 2024 के दौरान इसमें 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई और आगे और तेजी की उम्मीद है। यह वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं, सड़कों, रेलवे, और शहरी विकास कार्यक्रमों में निवेश के कारण संभव हुई है।

2. मुद्रास्फीति (Inflation) पर नियंत्रण

अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच खुदरा मुद्रास्फीति 4.9% तक पहुँच गई, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 4% के लक्ष्य के करीब है। खाद्य एवं ऊर्जा कीमतों में स्थिरता और सरकार की नीतियों ने महंगाई को नियंत्रित रखने में मदद की है।

3. निर्यात (Exports) और व्यापार

भारत के निर्यात क्षेत्र ने मजबूती दिखाई, विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में। अप्रैल-दिसंबर 2024 में कुल निर्यात 6% बढ़ा, जबकि सेवा क्षेत्र का निर्यात 12.8% की वृद्धि के साथ सर्वाधिक योगदानकर्ता रहा। मुख्यतः IT सेवाएँ, परामर्श सेवाएँ, और टेली-कम्युनिकेशन सेवाएँ इसकी प्रमुख घटक रहीं।

4. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में मजबूती

भारत ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। पहले 8 महीनों में FDI 17.9% बढ़कर 55.6 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इसमें मैन्युफैक्चरिंग, स्टार्टअप इकोसिस्टम, और डिजिटल इंडिया पहल का योगदान रहा।

5. विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) की वृद्धि

दिसंबर 2024 के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो 10.9 महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है। यह एक मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक संकेतक है और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।

6. नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का विकास

भारत ने सौर और पवन ऊर्जा में 15.8% की सालाना वृद्धि दर्ज की है। सरकार ने ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए बड़े स्तर पर निवेश किया है।


अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सुधार

1. कारोबारी सुगमता में सुधार

  • ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 के तहत व्यापार नीतियों को सरल बनाया गया है।
  • डिजिटलीकरण और लालफीताशाही में कमी से उद्यमिता को बढ़ावा मिला है।

2. बुनियादी ढाँचे में निवेश

  • अगले दो दशकों तक बुनियादी ढाँचे में बड़े निवेश की योजना बनाई गई है।
  • लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी सुधारों पर ज़ोर दिया जा रहा है।

3. आत्मनिर्भर भारत कोष (Self-Reliant India Fund)

  • ₹50,000 करोड़ के इस फंड के माध्यम से MSME क्षेत्र को इक्विटी फंडिंग दी जा रही है।
  • छोटे और मध्यम उद्योगों को नवाचार और उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिल रही है।
कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि

1. कृषि क्षेत्र में सुधार

  • कृषि विकास दर 3.8% रहने की संभावना है।
  • बागवानी, पशुपालन, और मत्स्य पालन प्रमुख चालक होंगे।
  • खरीफ फसल उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचने की उम्मीद।

2. औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार

  • औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर 6.2% अनुमानित है।
  • निर्माण गतिविधियों, बिजली, गैस और जल आपूर्ति में सुधार।

3. सेवा क्षेत्र का योगदान

  • सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.2% तक रहने की संभावना।
  • वित्त, रियल एस्टेट, व्यापारिक सेवाएँ और सार्वजनिक प्रशासन मुख्य क्षेत्र।
बैंकिंग और वित्तीय स्थिरता

1. बैंकों के खराब ऋण (NPA) में कमी

  • बैंकों के NPA 12 वर्षों के निचले स्तर 2.6% पर आ गए।
  • बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता और ऋण देने की क्षमता में सुधार।

2. कर राजस्व (Tax Revenue) में वृद्धि

  • अप्रैल-नवंबर 2024 में सकल कर राजस्व 10.7% बढ़ा।
  • डिजिटल कर संग्रह में सुधार से राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई।
रोजगार और सामाजिक सुधार
1. बेरोजगारी दर में गिरावट
  • 2017-18 में 6% थी, जो 2023-24 में 3.2% तक आ गई।
2. स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक व्यय
  • सरकारी स्वास्थ्य खर्च 29% से बढ़कर 48% हो गया।
  • निजी स्वास्थ्य खर्च घटकर 62.6% से 39.4% हो गया।

3. सामाजिक सेवाओं पर बढ़ा निवेश

  • वित्त वर्ष 2021-2025 में 15% वार्षिक वृद्धि देखी गई।
  • गरीबी और असमानता में कमी आई।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ

1. भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ

  • वैश्विक व्यापार और निवेश पर असर पड़ सकता है।

2. निजी निवेश को बढ़ावा

  • सरकारी नीतियाँ निवेशकों के लिए अनुकूल बनानी होंगी।

3. AI और डिजिटल अर्थव्यवस्था

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन का प्रभाव संतुलित करने की जरूरत।
निष्कर्ष

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर विकास दर बनाए रखने में सफल रही है। आने वाले वर्षों में, यदि सरकार नीतिगत सुधार, बुनियादी ढाँचे में निवेश, निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन और नियमों में ढील पर ध्यान केंद्रित करती है, तो भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र (Viksit Bharat) बनने के लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुँच सकता है।


Source: PIB

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