शनिवार को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गईं, जिनमें सबसे बड़ी घोषणा आयकर स्लैब में बदलाव की रही। अब 12 लाख रुपये सालाना तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा।
हालाँकि, मध्यम वर्ग की कोई स्पष्ट और सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। यह एक बहुत बड़ा और विविधतापूर्ण समूह है, जिसे किसी एक नीति से प्रभावित करना चुनौतीपूर्ण होता है।
मध्यम वर्ग पर सरकार और विपक्ष की नज़र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत की आर्थिक प्रगति मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और उनकी पूर्ति से जुड़ी हुई है।”
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मध्यम वर्ग पर ज़ोर देते हुए कहा, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि माँ लक्ष्मी हमारे देश के गरीबों और मध्यम वर्ग पर अपनी कृपा बनाए रखें।”
दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और आम आदमी पार्टी (AAP) भी मध्यम वर्ग को लुभाने में लगी है। 23 जनवरी को AAP ने “मिडिल क्लास घोषणापत्र” जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट बढ़ाने और टैक्स छूट सीमा बढ़ाने की माँग की गई।
दिल्ली में लगभग 67% जनसंख्या मध्यम वर्ग की मानी जाती है, जो इसे भारत के सबसे अमीर राज्यों में से एक बनाती है।
बजट 2025 में मध्यम वर्ग को क्या लाभ मिला?
1. नए इनकम टैक्स स्लैब:
12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं।
संशोधित टैक्स दरें:
4 लाख – 8 लाख: 5% टैक्स
8 लाख – 12 लाख: 10% टैक्स
12 लाख – 18 लाख: 15% टैक्स
18 लाख – 24 लाख: 20% टैक्स
24 लाख से अधिक: 30% टैक्स
2. TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) में राहत:
पहले 2.4 लाख रुपये से अधिक किराए पर TDS कटता था। अब यह सीमा 6 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे छोटे मकान मालिकों को राहत मिलेगी।
3. आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा:
सरकार 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स छूट दे रही है, ताकि लोगों की खपत और बचत बढ़े।
4. नया आयकर विधेयक:
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल संसद में पेश किया जाएगा।
मध्यम वर्ग की परिभाषा क्या है?
भारत में मध्यम वर्ग की कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं है। अलग-अलग संस्थाएँ इसे आय, खर्च, शिक्षा या व्यवसाय के आधार पर परिभाषित करती हैं।
विभिन्न संस्थानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ:
1. PRICE रिपोर्ट (2022):
मध्यम वर्गीय परिवार: सालाना आय 5 लाख – 30 लाख रुपये
मध्यम वर्गीय व्यक्ति: सालाना आय 1.09 लाख – 6.46 लाख रुपये
2. NCAER (राष्ट्रीय लागू आर्थिक अनुसंधान परिषद):
मध्यम वर्गीय परिवार की आय 2 लाख – 10 लाख रुपये प्रति वर्ष मानी जाती है।
3. अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो (नोबेल विजेता, 2008):
उन्होंने इसे दैनिक खर्च के आधार पर परिभाषित किया:
$2 – $10 प्रति दिन खर्च करने वाले लोग (यानि सालाना 58,000 – 2.9 लाख रुपये खर्च करने वाले)।
4. सरकारी दृष्टिकोण:
भारत सरकार 8 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों को EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) में रखती है, जिससे उन्हें आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है।
इसका मतलब यह है कि मध्यम वर्ग की आय 8 लाख रुपये से ऊपर मानी जा सकती है।
भारत में मध्यम वर्ग की जनसंख्या कितनी है?
मध्यम वर्ग की सही संख्या अलग-अलग रिपोर्ट्स में अलग-अलग बताई गई है।
1. PRICE रिपोर्ट (2022):
2020-21 में भारत की 31% आबादी (43.2 करोड़ लोग) मध्यम वर्ग में थी।
2046-47 तक यह संख्या 100 करोड़ (61% आबादी) होने का अनुमान है।
2. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (2022):
भारत में 46 करोड़ लोग मध्यम वर्ग में आते हैं।
3. PEW रिसर्च सेंटर (2021):
कोविड-19 के कारण मध्यम वर्ग की संख्या घटी।
महामारी से पहले: 9.9 करोड़ लोग मध्यम वर्ग में थे।
महामारी के बाद: यह संख्या 6.6 करोड़ हो गई।
PEW के अनुसार, भारत की 4.78% आबादी ही मध्यम वर्ग में आती है।
4. IHDS (इंडिया ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे, 2011-12):
भारत की 28% आबादी मध्यम वर्ग में थी।
2014 के डेटा के अनुसार, 40% घर मध्यम वर्ग में थे।
5. सरकारी अनुमान (2011-12):
आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या के आधार पर:
2.87 करोड़ लोग (2% आबादी) मध्यम वर्ग में थे।
मध्यम वर्ग की परिभाषा इतनी मुश्किल क्यों है?
आय बनाम खर्च: कुछ संस्थाएँ कमाई के आधार पर परिभाषा देती हैं, तो कुछ खर्च के आधार पर।
शहरी बनाम ग्रामीण: दिल्ली-मुंबई में 12 लाख रुपये सालाना आय का महत्व अलग है, जबकि बिहार-झारखंड में अलग।
महंगाई और जीवन स्तर: कोविड-19 और महंगाई से भी मध्यम वर्ग की स्थिति प्रभावित होती है।
Source: Indian Express