वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) – 2024

वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) – 2024, NGO PRATHAM द्वारा जारी

प्रथम संस्था द्वारा 2005 से हर वर्ष वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) जारी की जाती है, स्कूल जाने वाले बच्चों के पढ़ने और गणित के स्तर, स्कूल में उपस्थिति, और अन्य महत्वपूर्ण संकेतकों का आकलन करती है। 2024 की रिपोर्ट 649,491 बच्चों तक पहुँची, जो 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गाँवों में रहते हैं।

इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि पूर्व-प्राथमिक (3 से 5 वर्ष) आयु वर्ग के बच्चों का किसी न किसी संस्थान (LKG/UKG/आंगनवाड़ी/अन्य) में नामांकन पहले की तुलना में अधिक हुआ है। इसके साथ ही, पढ़ने और गणितीय कौशल में भी सुधार देखने को मिला, जो कोविड-19 महामारी के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

इसके अतिरिक्त, यह पहली बार हुआ है कि ASER सर्वेक्षण ने 15 और 16 वर्षीय बच्चों की डिजिटल साक्षरता को भी दर्ज किया है।

2024 में बच्चों के सीखने का स्तर कहाँ खड़ा है?

6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की पढ़ने और गणना करने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यह सुधार कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में 2022 की ASER रिपोर्ट की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से देखा गया है।

विशेष रूप से, 3 से 6 वर्ष के बच्चों के संदर्भ में दो प्रमुख बातें सामने आई हैं:

  1. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का प्रसार: 2018 से 2024 के बीच पूर्व-प्राथमिक शिक्षा में नामांकन दर बढ़ी है।
  2. बढ़ता नामांकन: 2024 तक, ग्रामीण भारत में 3 वर्ष की आयु के 77.4% बच्चे किसी न किसी प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम से जुड़े हुए थे। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के पाँच वर्षों में क्या बदलाव हुआ?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लागू होने के बाद, सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन 3 से 6 वर्ष के बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का रहा। इसके अंतर्गत “राष्ट्रीय साक्षरता और संख्यात्मकता मिशन (NIPUN भारत)” की शुरुआत 2021 में हुई। इसका लक्ष्य 2026-27 तक तीसरी कक्षा (8 वर्ष की आयु) के अंत तक सभी बच्चों को पढ़ने-लिखने और गणित में निपुण बनाना है।

2024 की ASER रिपोर्ट में यह पाया गया कि:

  • 83% स्कूलों ने सरकार से FLN (Foundational Literacy and Numeracy) गतिविधियों को लागू करने के लिए निर्देश प्राप्त किए।
  • 78% स्कूलों में कम से कम एक शिक्षक को FLN के लिए प्रशिक्षित किया गया।
  • 75% स्कूलों को FLN से संबंधित शिक्षण सामग्री मिली।

अब ग्रामीण सरकारी स्कूलों में शिक्षण-सामग्री, किताबें और खेल आधारित शिक्षण साधन अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, जो बच्चों के सीखने को बढ़ावा देते हैं।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर ज़ोर क्यों?

NEP 2020 के अनुसार, कक्षा 1 में प्रवेश 6 वर्ष की आयु में होना चाहिए। इससे पहले, बच्चों को संज्ञानात्मक और सामाजिक रूप से विद्यालय के लिए तैयार करने की आवश्यकता होती है।

ECCE का मुख्य उद्देश्य केवल कक्षा 1 के लिए बच्चों को तैयार करना नहीं है, बल्कि तीन वर्ष पूर्व से उनकी समग्र विकास प्रक्रिया को मजबूत करना है। जब बच्चे और उनके परिवार स्कूल के लिए तैयार होंगे, तभी स्कूल भी बच्चों के लिए पूरी तरह तैयार हो पाएंगे।

ASER रिपोर्ट के अनुसार, 3 से 5 वर्ष की उम्र के एक-तिहाई से अधिक बच्चे आंगनवाड़ियों में नामांकित हैं। हालाँकि, आंगनवाड़ियों का मुख्य कार्य पोषण और टीकाकरण भी है, लेकिन अब कई राज्यों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे प्रारंभिक शिक्षा भी प्रभावी रूप से प्रदान कर सकें।

हर राज्य की स्थिति अलग-अलग है:

  • हिमाचल प्रदेश और पंजाब में स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं को बढ़ावा दिया गया है।
  • राजस्थान में 5 वर्षीय बच्चों के नामांकन में वृद्धि देखी गई है, जहाँ वे आंगनवाड़ी और निजी LKG/UKG में प्रवेश ले रहे हैं।
15-16 वर्षीय बच्चों की शिक्षा और डिजिटल साक्षरता

2024 की ASER रिपोर्ट के अनुसार, 15-16 वर्ष के बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर घटकर 7% रह गई है।

इसके अलावा, डिजिटल युग में उनकी साक्षरता को भी मापा गया:

  • 90% ग्रामीण किशोरों के पास स्मार्टफोन की पहुँच है।
  • अधिकांश बच्चे ऑनलाइन जानकारी खोजने और अलार्म सेट करने जैसे डिजिटल कौशल में सक्षम पाए गए।
  • हालाँकि, लड़कों और लड़कियों के बीच डिजिटल कौशल में कुछ अंतर देखे गए। उदाहरण के लिए,
    • 14-16 वर्षीय 80.1% लड़के ऑनलाइन जानकारी खोज सकते थे, जबकि
    • 78.6% लड़कियाँ ऐसा कर पा रही थीं।
    • दक्षिणी राज्यों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों के बराबर या उनसे बेहतर था।
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) का भविष्य क्या है?

गुणवत्तापूर्ण ECCE की प्राप्ति के लिए ठोस और व्यावहारिक योजना बनाना आवश्यक है। इसके लिए:

  1. सटीक और निरंतर डेटा संग्रहण: ASER और सरकार के Unified District Information System for Education (UDISE) जैसे स्रोत कुछ डेटा प्रदान करते हैं, लेकिन निरंतर और विस्तृत डेटा की ज़रूरत है।
  2. बजट प्रबंधन: NEP 2020 के अनुसार, विशेष रूप से प्रशिक्षित ECCE शिक्षक नियुक्त किए जाने चाहिए।
  3. आंगनवाड़ियों में सुधार: यदि आंगनवाड़ियों में प्रारंभिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी है, तो अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था करनी होगी।

डॉ. रुक्मिणी बनर्जी, एनजीओ प्रथम की सीईओ हैं।

Source: Indian Express

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