चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत दिए गए ऋणों की वसूली

1. चीन का ऋण वसूली में बदलाव

चीन, जो पहले विकासशील देशों को पूंजी प्रदान करने वाला एक प्रमुख ऋणदाता था, अब खुद को इन देशों से ऋण वसूलने वाला एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रहा है। इस वर्ष, चीन को 75 विकासशील देशों से लगभग 22 अरब डॉलर का रिकॉर्ड ऋण प्राप्त होने की उम्मीद है। यह स्थिति तब आई है जब चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के तहत 2010 के दशक में किए गए ऋणों की अवधि समाप्त होने लगी है और अब उन ऋणों का भुगतान किया जा रहा है।

2. बीआरआई ऋण का संकट

चीन ने अपनी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के तहत 2012 से 2018 के बीच कई देशों को विशाल पैमाने पर ऋण दिए थे। अब इन ऋणों के लिए देय राशि इस वर्ष के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की संभावना है, जिसका कुल आंकड़ा 22 अरब डॉलर होगा। चीन को अब यह चिंता है कि इन देशों से भुगतान प्राप्त करना उनके लिए एक चुनौती बन सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से उन देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं या जिनकी परियोजनाएं COVID-19 महामारी के कारण आर्थिक संकट से प्रभावित हुई हैं।

3. चीन की नई भूमिका: ऋण वसूलीकर्ता

चीन, जो पहले विकासशील देशों में अपनी वैश्विक प्रभाव बढ़ाने के लिए ऋण प्रदान करता था, अब “ऋण वसूलीकर्ता” बन गया है। यह बदलाव उन देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिनके पास भुगतान करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इस संदर्भ में, चीन को अपने घरेलू आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इस तरह के ऋण वसूली के कारण चीन की छवि एक विकास साझीदार के रूप में कमजोर हो सकती है।

4. चीन और पाकिस्तान के बीच ऋण संबंध

पाकिस्तान, जो चीन का एक प्रमुख रणनीतिक साझीदार है, अब चीन का सबसे बड़ा ऋणग्राही बन चुका है। पाकिस्तान के पास लगभग 29 अरब डॉलर का ऋण है, जो चीन द्वारा दिया गया है। यह ऋण पाकिस्तान के लिए भुगतान में बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि अनुमानित तौर पर पाकिस्तान को इस वर्ष 22 अरब डॉलर से 30 अरब डॉलर के बीच का बाहरी ऋण चुकाना होगा। चीन ने पाकिस्तान को ऋण रॉलओवर (ऋण पुनर्निर्धारण) की सुविधा दी है, जिससे पाकिस्तान को कुछ राहत मिली है, लेकिन यह ऋण संकट को स्थायी रूप से हल नहीं करता है।

5. चीन के लिए आर्थिक दबाव

चीन खुद भी अपनी घरेलू आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। इस वजह से, चीन ने अपनी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के तहत अपने भविष्य के निवेशों को छोटे और टिकाऊ परियोजनाओं तक सीमित कर दिया है। इससे पहले, चीन ने कई बड़े पैमाने पर परियोजनाएं शुरू की थीं, लेकिन अब उसे अपनी आर्थिक स्थिति के कारण उन परियोजनाओं पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। इसके अलावा, चीन के क्वासी-वाणिज्यिक संस्थान भी ऋण की वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं, जिससे चीन को राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी चुनौतियाँ हो सकती हैं।

6. चीन के बयानों का खंडन

चीन ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है और कहा है कि कुछ देशों द्वारा चीन के खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने यह दावा किया कि चीन की ऋण सहायता अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं, बाज़ार के सिद्धांतों और ऋण स्थिरता के सिद्धांतों के अनुरूप है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों ने चीन को एक खतरे के रूप में पेश किया है, लेकिन वे यह नहीं बताते कि बहुपक्षीय संस्थाएं (जैसे विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) भी विकासशील देशों के प्रमुख ऋणदाता हैं और इन संस्थाओं का ऋण भुगतान भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।

7. आलोचनाएँ और “ऋण जाल”

चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर कई बार यह आरोप लगाए गए हैं कि यह “ऋण जाल” (Debt Trap) रणनीति का हिस्सा है, जिसमें चीन ने देशों को ऐसे ऋण दिए हैं जिनके भुगतान में वे सक्षम नहीं हैं, और इसके बदले उन देशों से रणनीतिक संपत्तियाँ या संसाधन प्राप्त कर लिए हैं। इसका उदाहरण श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट का सौदा है, जिसे चीन ने 99 साल के पट्टे पर प्राप्त किया था। इस तरह की आलोचनाओं ने चीन की छवि को चोट पहुँचाई है, खासकर तब जब कई देशों के पास ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

8. पारिस्थितिकीय प्रभाव और वैश्विक कूटनीति

चीन के लिए यह स्थिति एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती हो सकती है, क्योंकि BRI के तहत कई देशों को ऋण देने के बाद अब इन्हीं देशों से उधारी वसूलने के परिणामस्वरूप चीन की विकास साझीदार के रूप में छवि पर असर पड़ सकता है। यह वैश्विक कूटनीति में चीन के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, विशेषकर तब जब इन देशों को ऋण चुकाने में समस्या आ रही हो। चीन को अब इन देशों के साथ कर्ज पुनर्गठन और नए वित्तीय मॉडल पर विचार करना पड़ सकता है।

Source: DD News


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