मोटापे से निपटने के लिए समग्र और बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता

परिचय

अल्पपोषण (अंडरन्यूट्रिशन) की तुलना में, मोटापे से निपटने के लिए पर्याप्त कार्यक्रमगत पहलकदमियाँ नहीं हैं। हालाँकि, भारत सरकार ‘खेलो इंडिया’, ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ और ‘ईट राइट इंडिया’ जैसे अभियानों को बढ़ावा देती है तथा घरों में खाना पकाने के तेल के उपयोग में कमी लाने पर भी सार्वजनिक चर्चा होती रही है। लेकिन ये सभी पहल मुख्य रूप से व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर केंद्रित हैं, जबकि अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों की जिम्मेदारी को कम करके आंका गया है।

नीतिगत और कार्यक्रमगत समाधान

मोटापे से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

समाज में विस्तृत संवाद और जागरूकता अभियान
मोटापा एक रोग है जिसका बढ़ता बोझ अन्य बीमारियों जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और लिवर विकारों में योगदान देता है। इसे किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति की तरह ही रोकथाम, देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता है। इसके लिए वैज्ञानिक संवाद और जन-जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने की जरूरत है।

नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना
नियमित शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर शहरी योजना और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाना चाहिए। इसमें साइकिल लेन, पार्कों तक निःशुल्क पहुँच, सार्वजनिक स्थानों और खुले जिम्नेजियम की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अत्यधिक प्रसंस्कृत और उच्च वसा, नमक एवं शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों (HFSS और UPF) पर नियंत्रण
ऐसे खाद्य पदार्थ जो मोटापे को बढ़ावा देते हैं, उन पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए, जबकि स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों जैसे कि फलों और सब्जियों पर सब्सिडी दी जानी चाहिए। साथ ही, खाद्य उद्योग को स्वेच्छा से नैतिक विपणन नीतियों को अपनाना चाहिए।

स्वास्थ्य जाँच में वजन, ऊँचाई और कमर माप को शामिल करना
प्रत्येक स्वास्थ्य जाँच और निवारक स्वास्थ्य देखभाल में ‘वजन, ऊँचाई और कमर माप’ को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। प्रत्येक स्वास्थ्य परामर्श में व्यक्ति के आदर्श वजन और कमर माप पर चर्चा की जानी चाहिए। एक साधारण मानक के रूप में, पुरुषों के लिए आदर्श वजन उनकी ऊँचाई (सेमी में) में से 100 घटाकर और महिलाओं के लिए 105 घटाकर निकाला जा सकता है। महिलाओं के लिए 80 सेमी और पुरुषों के लिए 90 सेमी से अधिक की कमर परिधि अस्वस्थ मानी जाती है।

मोटापा विरोधी दवाओं के उपयोग के लिए दिशानिर्देश
विभिन्न क्षेत्रों में मोटापा विरोधी दवाओं को लाइसेंस दिया जा रहा है। इन दवाओं के उपयोग के लिए उचित नैदानिक दिशानिर्देश विकसित करने और इन्हें व्यापक रूप से प्रचारित करने की आवश्यकता है ताकि केवल योग्य मरीज ही इनका उपयोग करें।

कार्यस्थलों पर जागरूकता बढ़ाना
प्रत्येक कार्यालय और कार्यस्थल पर ‘अस्वस्थ वजन’ के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए और वजन मापने के यंत्रों को आसानी से उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मोटापे की रोकथाम के लिए नियमित जागरूकता अभियानों का संचालन किया जाना चाहिए। साथ ही, शरीर में वसा और संरचना विश्लेषण को नियमित अभ्यास बनाया जाना चाहिए।

विद्यालयों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना
विद्यालयों और कॉलेजों में स्वस्थ आहार और पोषण पर ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया को मजबूत किया जाना चाहिए। स्कूल की कैंटीन में केवल स्वास्थ्यकर भोजन ही उपलब्ध कराया जाना चाहिए। जापान जैसे देशों से सीखते हुए, प्रत्येक स्कूल में पोषण विशेषज्ञों की नियुक्ति को भी लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए।

बहु-आयामी नीतिगत हस्तक्षेप
मोटापे की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा, कृषि, शहरी नियोजन और विकास मंत्रालयों के समन्वय की आवश्यकता है। भारत में पोषण कार्यक्रमों को केवल आहार आपूर्ति तक सीमित न रखकर, ‘सुपोषण अभियान’ के रूप में पुनः संरचित किया जाना चाहिए, जिसमें ‘संतुलित पोषण’ और ‘उचित सूक्ष्म पोषक तत्व पूरकता’ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अनुसंधान और चिकित्सा समुदाय की भूमिका
स्वास्थ्य और चिकित्सा विशेषज्ञों को मोटापे पर अधिक वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित करने की आवश्यकता है, जिसमें महामारी विज्ञान संबंधी डेटा भी शामिल हो। इन जानकारियों को आम जनता तक सरल और समझने योग्य भाषा में पहुँचाया जाना चाहिए। डॉक्टरों के पेशेवर संगठन को मोटापे और अधिक वजन से निपटने के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।

स्वस्थ भोजन को किफायती और सुलभ बनाना
भारत में स्वस्थ भोजन की तुलना में जंक फूड सस्ता होता जा रहा है। खाद्य उद्योग, विशेष रूप से ऑनलाइन खाद्य वितरण प्लेटफॉर्म, को स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने में भूमिका निभानी चाहिए। इस क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) निधियों का उपयोग स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली और भोजन की आदतों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

मोटापा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, जिसके समाधान के लिए समग्र, बहुआयामी और व्यापक हस्तक्षेपों की आवश्यकता है। भारत को स्वस्थ, आर्थिक रूप से समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अधिक वजन और मोटापे से निपटना अनिवार्य है।

डॉ. चंद्रकांत लहरिया एक अभ्यासरत चिकित्सक हैं, जिन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ लगभग 17 वर्षों तक काम किया है। वे ‘भारत में मोटापे की देखभाल: एक राष्ट्रीय श्वेत पत्र’ के लेखक हैं।

Source: The Hindu