मेपल सिरप यूरिन डिजीज के लिए जीन थेरेपी ने दिखाई आशाजनक संभावनाएँ

परिचय

वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी विकसित की है जो मेपल सिरप यूरिन डिजीज (Maple Syrup Urine Disease – MSUD) जैसी गंभीर अनुवांशिक बीमारी के लिए प्रभावी साबित हो सकती है। इस उपचार ने एक नवजात बछड़े में इस बीमारी के घातक लक्षणों को रोकने में सफलता प्राप्त की है। यह चिकित्सा पद्धति भविष्य में उन मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प बन सकती है जो दो प्रकार के क्लासिक एमएसयूडी से पीड़ित हैं और जिनके पास वर्तमान में सीमित उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। इस शोध के परिणाम ‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

मेपल सिरप यूरिन डिजीज (MSUD) क्या है?

एमएसयूडी एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो तीन जीनों में उत्परिवर्तन (mutation) के कारण होता है। ये तीन जीन BCKDHA, BCKDHB, और DBT हैं, जो मिलकर ब्रांच्ड चेन अल्फा-किटो एसिड डीहाइड्रोजनेज कॉम्प्लेक्स (BCKDH) नामक एंजाइम बनाते हैं। इस एंजाइम की कमी के कारण शरीर कुछ विशेष अमीनो एसिड्स जैसे ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन और वेलिन को सही तरीके से नहीं तोड़ पाता।

इसका परिणाम यह होता है कि इन अमीनो एसिड्स के अवशेष रक्त में जमा होने लगते हैं, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ और जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह घातक हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को या तो एक बहुत ही सख्त प्रोटीन-न्यून आहार का पालन करना पड़ता है या फिर लीवर प्रत्यारोपण (liver transplant) कराना पड़ता है।

नई जीन थेरेपी कैसे काम करती है?

अब, अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स चैन मेडिकल स्कूल के डॉ. जियामिंग वांग और उनकी टीम ने इस विकार के इलाज के लिए एक नई जीन प्रतिस्थापन थेरेपी (Gene Replacement Therapy) विकसित की है।

  • यह थेरेपी एडेनो-असोसिएटेड वायरल वेक्टर (AAV Vector) का उपयोग करके BCKDHA और BCKDHB के कार्यात्मक जीन शरीर में पहुँचाने का कार्य करती है।
  • यह थेरेपी नॉकआउट कोशिकाओं (Knockout Cells) में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है और यह सामान्य (Wild-Type) चूहों में सुरक्षित पाई गई है।
  • यह उपचार उन चूहों में भी कारगर साबित हुआ जिनमें BCKDHA या BCKDHB की कमी थी, जिससे जन्म के बाद मृत्यु को रोकने में सफलता मिली।

पशुओं पर किया गया परीक्षण

वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग के लिए एक ऐसे फार्म का दौरा किया जहाँ कुछ नवजात बछड़े एमएसयूडी से प्रभावित थे और उनकी मृत्यु हो गई थी। वैज्ञानिकों ने उस किसान के साथ मिलकर एक एमएसयूडी ग्रस्त बछड़े का प्रजनन (breeding) किया और उसमें अपनी संशोधित जीन थेरेपी (modified gene therapy) का एकल खुराक (single dose) प्रदान किया।

  • अगले दो वर्षों तक, यह बछड़ा पूरी तरह से सामान्य रूप से विकसित हुआ।
  • बछड़ा अंततः एक सामान्य प्रोटीन-समृद्ध आहार अपनाने में सक्षम हो गया, जो एमएसयूडी से ग्रस्त जानवरों के लिए असंभव माना जाता है।

भविष्य की संभावनाएँ

वैज्ञानिकों की यह टीम अब इस जीन थेरेपी के दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन करने के लिए आगे के शोध करने की योजना बना रही है। इस शोध के प्रमुख लक्ष्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. ब्रेन में BCKDH स्तरों का विश्लेषण करना ताकि यह समझा जा सके कि यह थेरेपी न्यूरोलॉजिकल रूप से कितनी प्रभावी है।
  2. बुद्धि (cognition) और व्यवहार (behavior) पर प्रभाव को मापना ताकि दीर्घकालिक फायदे सुनिश्चित किए जा सकें।
  3. मनुष्यों के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स विकसित करना, जिससे एमएसयूडी ग्रस्त मरीजों को एक प्रभावी और दीर्घकालिक उपचार मिल सके।

निष्कर्ष

यह नई जीन थेरेपी मेपल सिरप यूरिन डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए आशा की एक नई किरण बन सकती है। वर्तमान में, एमएसयूडी के लिए उपचार विकल्प बेहद सीमित हैं और मरीजों को या तो एक सख्त आहार लेना पड़ता है या फिर लीवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है। यह नई थेरेपी एक बार में ही स्थायी उपचार प्रदान कर सकती है, जिससे मरीजों का जीवन आसान और बेहतर हो सकता है। हालाँकि, इसके व्यापक उपयोग के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है, लेकिन प्रारंभिक परिणाम अत्यधिक उत्साहजनक हैं।

भविष्य में, यदि यह थेरेपी मनुष्यों में सफल साबित होती है, तो यह आनुवंशिक विकारों के लिए चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपलब्धि साबित हो सकती है।

Source: The Hindu

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