सल्तनत कालीन सिक्के
⇒ किस शासक ने अपने सिक्कों के पृष्ठ भाग पर कालिमा का संस्कृत अनुवाद ‘अव्यक्तमेकं मुहम्मद अवतार:’ उल्लेख किया था – महमूद गजनवी ने
⇒ वह मुसलमान विजेता कौन था, जिसने हिन्दू देवी वाले सिक्कों को चलाए रखा था – मुहम्मद गोरी
⇒ लक्ष्मी की आकृतियुक्त सिक्के किसने चलाए थे – मुहम्मद गोरी ने
⇒ सल्तनत काल की दो प्रमुख मुद्राएँ कौन थीं -टंका और जीतल
⇒ सल्तनत काल के दो प्रमुख सिक्कों, टंका और जीतल का प्रचलन किसने किया था – इल्तुतमिश ने
⇒ 172.8 ग्रेन (विभिन्न पुस्तकों में अलग-अलग भार माप) के ‘चाँदी के टंके’ का प्रचलन किसके द्वारा किया गया था – इल्तुतमिश द्वारा
⇒ सल्तनत काल के सिक्के – टंका, शशगनी एवं जीतल किन धातुओं के बने थे – चाँदी एवं ताँबे के
⇒ टंका पर टकसाल का नाम अंकित करने की परम्परा का आरम्भ किसने किया था – इल्तुतमिश ने
⇒ इल्तुतमिश द्वारा जारी किए गए ‘ताँबे के सिक्के’ का क्या नाम था – जीतल
⇒ दिल्ली सल्तनत में एक चाँदी का टंका कितने जीतल के बराबर होता था – 48 जीतल के बराबर
⇒ दिल्ली के किस सुल्तान के सिक्कों पर सर्वप्रथम अरबी में लेख लिखे गए थे – इल्तुतमिश के
⇒ किस तुर्क सुल्तान ने शुद्ध अरबी सिक्के जारी कि – इल्तुतमिश ने
⇒ किस सुल्तान ने सिक्कों पर सबसे पहले अब्बासी खलीफा ‘अल मुस्तनसीर’ का नाम अंकित करवाया था – इल्तुतमिश ने
⇒ किस सुल्तान के सिक्कों पर ‘हजरत देहली’, ‘जरब अल सुल्तान’, ‘अदल सुल्तान’, ‘अल सुल्तान’ आदि अंकित थे – इल्तुतमिश के सिक्कों पर
⇒ दिल्ली सल्तनत के अन्तर्गत प्रचलित सिक्के थे – टंका, जीतल, दोगानी
⇒ इल्तुतमिश ने अपने किस उत्तराधिकारी का नाम चाँदी के टंके पर अंकित करवाया था -रजिया का
⇒ किसने दिवंगत खलीफा की स्मृति में सिक्के टंकित कराए – बलबन ने
⇒ अपने सिक्कों पर किसने अपना उल्लेख ‘द्वितीय सिकन्दर’ के रूप में करवाया था – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ किसके सिक्कों पर बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम सर्वप्रथम अंकित हुआ था – अलाउद्दीन मसूद शाह
⇒ किस सुल्तान ने अपने को ‘ईश्वर का प्रतिनिधि’ कहा और अपने सिक्कों पर ‘खलीफातुल्लाह’ शब्द अंकित कराया – कुतुबुद्दीन मुबारकशाह खिलजी ने
⇒ तुगलक वंश के किस सुल्तान ने चाँदी के सिक्के के स्थान पर ताँबे के सिक्के चलाए थे – मुहम्मद बिन तुगलक ने
⇒ दिल्ली के सुल्तानों में से किसने ‘सांकेतिक मुद्रा’ प्रारम्भ की थी – मुहम्मद बिन तुगलक ने
⇒ मुहम्मद तुगलक द्वारा जारी सांकेतिक मुद्रा की योजना कब लागू की गई थी – 1329-30 ई० में
⇒ मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन सम्बन्धी प्रयोग किस कारण से विफल सिंद्ध हुआ था – व्यापक स्तर पर नकली सिक्कों की ढलाई के कारण
⇒ सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा जारी सांकेतिक मुद्रा के सम्बन्ध में सही कथन है-
- बरनी के अनुसार इन सांकेतिक सिक्कों के लिए जो धातु इस्तेमाल की गई, वह ताँबा था
- फरिश्ता का कहना है कि वह कांस्य या पीतल था
- दूसरे सिक्कों पर सिर्फ अरबी में लिखा गया था, जबकि इन सांकेतिक सिक्कों पर फारसी में भी लिखा था
⇒ मुहम्मद बिन तुगलक ने किस धातु की मुद्रा का प्रचलन किया था – ताँबा अथवा कांसे का
⇒ इब्नबतूता के अनुसार दीनार नामक स्वर्ण मुद्राओं का प्रचलन किसने कराया था – मुहम्मद बिन तुगलक ने
⇒ किस सुल्तान ने अपने सिक्कों पर ‘अल सुल्तान जिल्ली- अल्लाह’ अंकित करवाया था – मुहम्मद बिन तुगलक ने
⇒ किस राजवंश के सुल्तानों ने सामान्यतः खलीफा के नायब के रूप में अपना नाम सिक्कों पर अंकित करवाया था – तुगलक वंश के
⇒ किस सुल्तान ने अपने सिक्कों पर अपने नाम के साथ फतह खाँ का नाम अंकित करवाया, अपने को खलीफा का नायब पुकारा तथा सिक्कों पर खलीफा का नाम अंकित करवाया था – फिरोज तुगलक ने
⇒ शशगनी सिक्का किसके राज्यकाल में प्रचलित हुआ था – फिरोज तुगलक के समय
⇒ ‘शशगनी’ चाँदी का एक छोटा सिक्का था। यह कितने जीतल के बराबर होता था – 6 जीतल के बराबर
⇒ बहलोल लोदी द्वारा प्रचलित सिक्कों को किस नाम से जाना जाता है – बहलोली सिक्कों के नाम से
⇒ किसकी मुद्रा अकबर के समय तक विनिमय का माध्यम रही थी – बहलोल लोदी की