सल्तनतकालीन अर्थव्यवस्था
⇒ सल्तनत काल के पाँच प्रमुख कर कौन थे – उन, खराज, खम्स (खुम्स), जकात, तरकात और जजिया
⇒ उन किस प्रकार का कर था – मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमिकर था
⇒ प्राकृतिक साधनों से सिंचित भूमि से पैदावार का कितना प्रतिशत भाग भूमिकर के रूप में लिया जाता था -10% भाग कर था
⇒ खराज किस प्रकार का कर था – गैर-मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमिकर था
⇒ विभिन्न सुल्तानों द्वारा पैदावार का कितना भाग खराज के रूप में वसूल किया गया – पैदावार के एक-तिहाई से लेकर आधे भाग तक
⇒ ख़ुम्स क्या था – यह लुटे हुए धन, खानों अथवा भूमि में गड़े हुए खजानों से प्राप्त संपत्ति था
⇒ खम्स (खुम्स) के कितने भाग पर सुल्तान का अधिकार होता था – 1/5 भाग पर (शेष 4/5 भाग पर उसके सैनिकों, अधिकारियों अथवा खजाने को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का अधिकार होता था
⇒ लूट के धन का 80 प्रतिशत भाग किस शासक ने लेना आरम्भ किया था – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ जकात किस प्रकार का कर था – 88यह एक धार्मिक-कर था, जो केवल धनवान मुसलमानों से लिया जाता था
⇒ सल्तनत काल में जकात कर किस पर लगाया जाता था – मुसलमानों पर
⇒ मुसलमानों से उनकी आय का कितने प्रतिशत भाग जकात के रूप में वसूल किया जाता था -आय का ढाई (2 1/2) प्रतिशत
⇒ जजिया किस प्रकार का कर था – गैर-मुसलमानों से वसूल किया जाने वाला धार्मिक-कर था।
⇒ किसके शासनकाल में ब्राह्मणों से भी जजिया वसूल किया गया – फिरोज तुगलक के समय
⇒ सल्तनत काल में राज्य की आय का प्रमुख स्रोत क्या था-भू-राजस्व
⇒ भारत के किस मध्यकालीन शासक ने ‘इक्ता व्यवस्था’ प्रारंभ की – इल्तुतमिश ने
⇒ इक्ता का आवंटन किसने शुरू किया था – इल्तुतमिश ने
⇒ ‘इक्ता’ का क्या अर्थ था – सैनिक सेवा के बदले दिया जाता था
⇒ ‘अक्ता’ वह भूमि होती थी, जिसकी आय पर – सैन्य प्रशासन का नियंत्रण था
⇒ दिल्ली सल्तनत में इक्ता पद्धति के सम्बन्ध में सही कथन है-
- इक्ता क्षेत्रों का एक आवंटन था
- निजाम-उल-मुल्क ने मुक्तियों के कर वसूली तथा उसमें से भागीदारी लेने के अधिकार पर बल दिया
- बलबन ने आदेश दिया कि अधिशेष की राशि इक्ता से सुल्तान के कोषागार में भेजी जाय
⇒ दिल्ली सल्तनत में क्षेत्रीय राजस्व समानुदेशन को क्या कहते थे – इक्ता
⇒ इक्ता व्यवस्था के संदर्भ में सत्य कथन है
- उत्तर भारत में इस्लाम को प्रतिष्ठित करने में इक्ता व्यवस्था का दूरगामी प्रभाव हुआ
- इस प्रथा के द्वारा सुल्तान तुर्की अमीर वर्ग को नियंत्रित करना चाहते थे
⇒ इक्तेदारों के विषय में सत्य कथन है
- सुल्तान इक्तेदारों को स्थानान्तरित कर सकता था
- राज्य इक्तेदारों के इक्ते को जब्त कर सकता था
- राज्य इक्तों की आय-व्यय की जाँच करता था
⇒ सल्तनत कालीन अक्ता व्यवस्था का क्या अभिप्राय था
- नकद वेतन के बदले किसी खास भू-भाग का राजस्व अधिन्यास
- किसी भू-भाग का अधिन्यास पारितोषिक एवं सेवानिवृत्ति वेतन स्वरूप
⇒ इक्ता एवं इजारा के संदर्भ में सत्य कथन है
इक्ता – नागरिक एवं सैन्य सेवा के लिए दिया जाने वाला राजस्व नियत कार्य
इजारा – राजस्व नियत-कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति
⇒ दिल्ली सल्तनत में राज्य और प्रशासन के सन्दर्भ में, ‘मुक्ति’ शब्द का क्या अर्थ है – भूमि अभिहस्तांकन जिसे ‘इक्ता’ कहा जाता है, का धारक
⇒ दिल्ली सुल्तानों के अन्तर्गत इक्ता एक क्षेत्रीय आवंटन था और इसको धारण करने वाला मुक्ता कहलाता था, जो – देय भूमि कर के अतिरिक्त किसान पर कोई दावा नहीं रखता था।
⇒ प्रथम सुल्तान जिसने दोआब की आर्थिक क्षमता समझी, कौन था – इल्तुतमिश
⇒ किस सुल्तान ने नकद वेतन के बदले ‘इक्ता’ का आवंटन बन्द कर दिया था – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ इक्ता को किसने वंशानुगत बना दिया था– फिरोज तुगलक ने
⇒ राजस्व सम्बन्धी नियमों तथा उपनियमों में सुधार करने का श्रेय सर्वप्रथम किस तुर्की सुल्तान को जाता है – अलाउद्दीन खिलजी को
⇒ राजस्व के मामले में पूर्ण रुचि लेने वाला सुल्तान कौन था – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का मुख्य कारक क्या था-
- एक शक्तिशाली सेना का निर्वाह करना
- अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करना
⇒ अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक आदेशों का प्रमुख उद्देश्य क्या था – शक्तिशाली सेना रखना
⇒ भूमि की माप के आधार पर भू-राजस्व का निर्धारण और प्रति बिस्वा उपज का आकलन (Estimation) सबसे पहले किसके अधीन किया गया – अलाउद्दीन खिलजी के अधीन
⇒ किस शासक ने मिल्क तथा इनाम भूमि के अनुदानों को रद्द कर दिया – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ किस सुल्तान ने भू-राजस्व को बढ़ाकर आधा कर दिया था – अलाउद्दीन खिलजी
⇒ सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने मालगुजारी का कितना हक पेश किया था – उपज के आधे भाग पर
⇒ अलाउद्दीन के भूराजस्व एवं इजारा के संदर्भ में सत्य कथन है
- अलाउद्दीन खिलजी ने भू-राजस्व की मांग का कुल उत्पादन के आधे तक बढ़ा दिया
- बाजार मूल्यों को एक नीचे के स्तर तक सीमित रखने के लिए अनाज की बड़ी मात्रा में आवक आवश्यक था
⇒ किस कारण से अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में किसानों के कष्ट बढ़े – अनेक प्रकार के करों के बोझ के कारण
⇒ अलाउद्दीन खिलजी ने कौन-सा कर लगाया था – खराज, घरी, चराई
⇒ किस सुल्तान द्वारा खालिसा क्षेत्रों में भूमि की नाप के स्थान पर बँटाई प्रथा को जारी किया गया – गयासुद्दीन तुगलक द्वारा
⇒ कौन-सा सुल्तान था, जिसने भूमि के नाप की व्यवस्था वापस ली और गल्ला बंटाई व्यवस्था अपनाई थी – गियासुद्दीन तुगलक ने
⇒ ग्रामीण बिचौलियों को गियासुद्दीन तुगलक द्वारा दी गई रियासत के सम्बन्ध में सही है – उसने उनकी भूमि को कर मुक्त कर दिया
⇒ दिल्ली के किस सुल्तान ने यह नियम बनाया कि किसी एक वर्ष में भू-राजस्व में 1/10 या 1/11 से अधिक की वृद्धि नहीं की जाएगी – गियासुद्दीन तुगलक ने
⇒ मुहम्मद तुगलक के खिलाफ दोआब में हुई बड़ी बगावत का कौन-सा एक कारण था – ग्रामीण इलाकों में कर वृद्धि
⇒ फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली की गद्दी पर राज्यारोहण के उपरान्त समाप्त किए गए कृषि उपकर क्या कहलाते थे – अबवाब
⇒ किसने किसानों के ऊपर से अधिकाधिक कष्टकारी कर हटा लिया था – फिरोज तुगलक ने
⇒ फिरोज तुगलक ने उपज का 1/10 भू-राजस्व के रूप में किस भूमि से वसूल किया – उशरी भूमि से
⇒ सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में हिसामुद्दीन जुनैदी द्वारा आकलित दिल्ली सल्तनत का कुल जमा क्या था – छः करोड़ पचासी लाख टंका
⇒ इतलाक, एक प्रकार की हुण्डी जिसकी सहायता से राजकीय सिपाही राज्य के राजस्व अधिकारियों से अपना वेतन प्राप्त करने में समर्थ था, की प्रथा किसने चलाई थी – फिरोजशाह तुगलक ने
⇒ सर्वप्रथम दिल्ली सल्तनत में ‘बाजार नियंत्रण’ व्यवस्था किसने लागू की – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बाजार नियंत्रण व्यवस्था या आर्थिक अधिनियमों के पीछे क्या मुख्य उद्देश्य था – सीमित वेतन में अपने सैनिकों को संतुष्ट रखना
⇒ अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था का जियाउद्दीन बरनी के अनुसार मुख्य उद्देश्य क्या था – एक विशाल स्थायी सेना का भरण-पोषण
⇒ अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था का प्रभारी अधिकारी कौन था – शहना-ए-मंडी
⇒ अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार का अधीक्षक किसे नियुक्त किया था – मलिक कबूल को
⇒ कौन-से अधिकारी अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था से जुड़े थे – शहना-ए-मंडी, बरीद-ए-मंडी, मुनहियन
⇒ अलाउद्दीन खिलजी के गल्ला बाजार का प्रथम अधिनियम किससे संबंधित था – सभी प्रकार के गल्लों का भाव निश्चित करने से
⇒ सराय-ए-अदल किस प्रकार का बाजार था – सरकारी धन से सहायता प्राप्त बाजार था
⇒ किस मध्यकालीन शासक ने ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ प्रारम्भ की थी – अलाउद्दीन खिलजी ने
⇒ अलाउद्दीन खिलजी के बाजार नियंत्रण का क्या उद्देश्य था – कम खर्च पर विशाल सेना रखना
⇒ अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मूल्य वृद्धि का एक कारण था – मंगोल आक्रमण