भौतिक विज्ञान वन लाइनर – 11

 

-200°C से नीचे के ताप मापन हेतु किस तापमापी का उपयोग करते हैं – हीलियम गैस तापमापी

 

1500°C तक के ताप मापन हेतु किस तापमापी का प्रयोग करते हैं – नाइट्रोजन गैस तापमापी

 

ताप युग्म तापमापी किस सिद्धांत पर आधारित होता है – सीबैक प्रभाव के सिद्धांत पर

 

सम्पूर्ण विकिरण उच्च तापमापी नियम पर आधारित होते हैं – स्टीफन के नियम पर

 

प्रकाशित उच्च तापमापी (Optical Pyrometer) किस सिद्धांत पर आधारित होता है – वीन के विकिरण संबंधी विस्थापन नियम पर

 

प्रकाशित उच्च तापमापी (Optical Pyrometer) द्वारा किस ताप तक का मापन किया जाता है – 800°C से 2700°C तक (इसे वीन विकिरण सम्बन्धी विस्थापन नियम के नाम से भी जाना जाता है)

 

सम्पूर्ण विकिरण उच्च तापमापी (Total Radiation Pyrometer) द्वारा किस ताप तक का मापन किया जा सकता है – 800°C से 3000°C तक (यह स्टीफन के नियम पर आधारित होता है)

 

ऊष्मा की वह मात्रा, जो पदार्थ के एकांक द्रव्यमान में एकांक ताप वृद्धि उत्पन्न करती है क्या कहलाती है – पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा

 

ऊष्मा संचरण की कितनी विधियाँ होती हैं – तीन विधियाँ

  1. चालन
  2. संवहन
  3. विकिरण

 

चालन विधि (Conduction-Method) की विशेषतायें

– ऊष्मा के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है

– माध्यम के तप्त कणों का स्थान परिवर्तित नहीं होता है

– द्रवों व गैसों में ऊष्मा का संचरण इस विधि द्वारा बहुत कम होता है

– ठोसों एवं पारे में ऊष्मा का संचरण केवल चालन विधि द्वारा होता है

 

पदार्थ में चालन द्वारा ऊष्मा का संचरण क्या कहलाता है – ऊष्मा चालकता (Thermal Conductivity)

 

गैसों व द्रवों में ऊष्मा का संचरण किस विधि द्वारा होता है – संवहन विधि (Convection) द्वारा

 

पृथ्वी का वायुमण्डल किस विधि से गर्म होता है – संवहन विधि से

 

किस विधि में ऊष्मा संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता पड़ती है – संवहन एवं चालन विधि में

 

निर्वात में ऊष्मा का संचरण किस विधि द्वारा होता है – विकिरण विधि (Radiation) द्वारा (ऊष्मा का संचरण बिना किसी माध्यम के प्रकाश की वेग से सीधी रेखा में होता है)

 

पृथ्वी तक सूर्य की ऊष्मा किस विधि द्वारा पहुँचती है – विकिरण विधि द्वारा

 

100°C की वाष्प द्वारा उत्पन्न जलन, उसी ताप के पानी द्वारा उत्पन्न जलन से अधिक गम्भीर होती है क्यों – क्योंकि वाष्प में गुप्त ऊष्मा अधिक होती है

 

ठंडे प्रदेशों में पारा के स्थान पर एल्कोहल द्रव तापमापी का उपयोग किया जाता है, क्यों – क्योंकि एल्कोहल का गलनांक निम्नतर होता है

 

स्वचालित इंजनों में हिमरोधी के लिए किसका प्रयोग किया जाता है – एथिलीन ग्लाइकॉल का

 

परम शून्य ताप होता है – सैद्धान्तिक रूप से न्यूनतम संभव तापमान

 

किसी पदार्थ को गर्म करने पर क्या घटित होता है – आयतन बढ़ता है, घनत्व घटता है

 

धर्मोस्टेट यंत्र के क्या कार्य है – तापक्रम का स्थिरीकरण

 

रेफ्रिजरेटर में थर्मोस्टेट का कार्य होता है – एक समान तापमान को बनाए रखना

 

सीले बिस्कुटों को फ्रिज के अन्दर रखने पर वह कुरकुरे हो जाते हैं क्यों, क्योंकि – आर्द्रता अवशोषित होकर द्रव रूप में बाहर निकल जाती है

 

बर्फ का टुकड़ा पेय को ठंडा बनाए रखता है क्यों – क्योंकि पेय से गुप्त ऊष्मा प्राप्त कर बर्फ पिघलने लगती है तथा ऊष्मा का ह्रास होने से पेय ठंडा हो जाता

है

 

रेफ्रिजरेटर में खाद्य पदार्थों को ताजा रखने हेतु सुरक्षित तापमान होता है – 4°C

 

बड़े शीतगृह संयंत्र प्रशीतक के रूप में अमोनिया का उपयोग करते हैं, जबकि घरेलू प्रशीतक – CFC (क्लोरो-फ्लोरो कार्बन) का उपयोग करते हैं

 

बड़े शीतगृह संयंत्र प्रशीतक में प्रयुक्त अमोनिया को किस ताप व दाव पर द्रवित करते हैं – उच्च दाब व परिवेश ताष पर

 

रेफ्रिजरेटर के संबंध में सत्य कथन है 

– यदि फ्रीजर पर बर्फ इकट्ठी होती है, तो रेफ्रिजरेटर में शीतलन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है

– बर्फ एक दुर्बल चालक है

 

कृष्ण छिद्र (Black Hole) के संबंध में सत्य कथन है:

  • कृष्ण छिद्र एक ऐसा खगोलीय अस्तित्व है, जिसे दूरबीन से नहीं देखा जा सकता
  • कृष्ण छिद्र पर गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि यह प्रकाश को भी बच निकलने नहीं देता

 

शीशे की छड़ जब भाप में रखी जाती है, तो लम्बाई व चौड़ाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा – लम्बाई बढ़ जाती है, लेकिन चौड़ाई घट जाएगी 

 

धातु वलय के छिद्र में धातु गोलक भर सकता है यदि गोलक को गरम करें, तो वह अटक जाता है, परन्तु यदि धातु वलय को गर्म करें तो क्या होगा – गोलक वलय से निकल जायेगा, क्योंकि तापन के प्रसार के कारण वलय का व्यास बढ़ जाएगा

 

ताँबे तथा काँच के टुकड़े को एक ही ताप पर गर्म किया जाए, तदोपरान्त स्पर्श करने पर कौन अधिक गर्म महसूस होगा – ताँबे का टुकड़ा (ताँबा, ऊष्मा का अच्छा सुचालक होता है, जबकि काँच ऊष्मा का कुचालक होता है)