BESS क्या है और यह क्यों ज़रूरी है?
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन आदि) की अनियमितता को संतुलित करने के लिए आवश्यक है।
BESS की भूमिका
- ग्रिड को स्थिर बनाना
- पिक लोड मैनेजमेंट
- मांग और आपूर्ति में संतुलन
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी
- विकेन्द्रीकृत ऊर्जा समाधान और माइक्रो ग्रिड का समर्थन
BESS की विशेषताएँ
सस्ती, स्केलेबल, जल्दी तैनात करने योग्य और स्थानिक रूप से लचीली।
पिछले 15 वर्षों में बैटरियों की लागत में लगभग 90% की गिरावट आई है।
ऊर्जा परिवर्तन का संदर्भ
1. आज की ऊर्जा सुरक्षा चार स्तंभों पर आधारित है: 1.उपलब्धता 2.पहुंच 3.सस्ती दरें 4.पर्यावरणीय स्वीकार्यता
2. नवीकरणीय ऊर्जा सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 7 (SDG-7) को पूरा करने में मदद करती है — सभी को स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच।
3. BESS नवीकरणीय ऊर्जा की अनियमितता को कम करके साफ़ और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
भारत में BESS की स्थिति
1. लक्ष्य: 2030 तक 500 GW गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्थापित करना (जनवरी 2025 तक 217.62 GW प्राप्त)।
2. BESS लक्ष्य: 2032 तक 47 GW स्थापित करना।
3. सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
Viability Gap Funding (VGF)
जून 2025 तक BESS परियोजनाओं के लिए इंटरस्टेट ट्रांसमिशन शुल्क में छूट
BESS के विस्तार में चुनौतियाँ
1. ग्रिड अपग्रेडेशन में निवेश की कमी
2. बड़े ग्राहकों द्वारा BESS को अपनाने की धीमी गति
3. बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक खनिजों की उपलब्धता की कमी
4. बड़े BESS अनुबंधों में देरी
नवाचारपूर्ण साझेदारियाँ
1. दिल्ली पायलट BESS परियोजना (20 मेगावाट/40 मेगावाट-घंटा — किलोकारी सबस्टेशन)
साझेदार: BRPL + IndiGrid + GEAPP
लाभ: 12,000 निम्न-आय उपभोक्ताओं को विश्वसनीय बिजली
नीति सुधार और भविष्य की परियोजनाओं के लिए मॉडल तैयार किया
2. EnerGrid प्लेटफार्म (2024 में शुरू)
साझेदार: IndiGrid + British International Investment + Norfund
लक्ष्य: ट्रांसमिशन और स्वतंत्र BESS परियोजनाएँ
निवेश: $300 मिलियन
आगे का रास्ता
1. केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर बड़े पैमाने पर BESS परियोजनाओं को तेज़ी से लागू करना।
2. स्थानीय निर्माण और बैटरी रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना।
3. सस्ती फंडिंग और तकनीकी सहायता सुनिश्चित करना।
4. भारत को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में BESS नेतृत्वकर्ता बनाना।
5. वैश्विक भागीदारी (जैसे GEAPP की BESS Consortium) का उपयोग कर BESS को राष्ट्रीय रणनीति में शामिल करना।
Saurabh Kumar, vice-president, India, Global Energy Alliance for People and Planet; Harsh Shah, CEO & executive director, IndiGrid
Source: The Hindu