1. रेपो दर में कटौती का निर्णय:
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 6.50% की दर को दो वर्षों तक बनाए रखने के बाद 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है।
- यह कटौती 5 वर्षों में पहली बार की गई है और इससे होम लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई में कमी आने की संभावना है।
रेपो दर में बदलाव:
6.75% ─┐
6.50% ─┤───────────────┐ (2 साल तक स्थिर)
6.25% ─┘ (फरवरी 2025 में कटौती)
2. रेपो दर में कटौती के कारण:
- आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उधारी को सस्ता बनाना।
- महंगाई दर (Inflation) आरबीआई के लक्षित सीमा के भीतर है, जिससे कीमतों में स्थिरता बनाए रखते हुए विकास को समर्थन देना संभव है।
- वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियों के अनुरूप नीतिगत बदलाव।
3. रेपो दर कटौती का संभावित प्रभाव:
- ऋण दरों में कमी: बाहरी बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) में 25 bps की कमी, जिससे लोन पर ईएमआई घटेगी।
- निवेश और खर्च में वृद्धि: सस्ती उधारी से व्यक्तिगत और व्यवसायिक खर्च में वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- नौकरी सृजन: निवेश में वृद्धि से रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
- बचत पर प्रभाव: ब्याज दरों में कमी से बचत पर मिलने वाला ब्याज घट सकता है।
4. जीडीपी वृद्धि और महंगाई अनुमान:
- जीडीपी वृद्धि:
- 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.7%
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित वृद्धि दर 6.4%
- महंगाई दर:
- खुदरा महंगाई (Retail Inflation) का अनुमान 2025-26 के लिए 4.2%
- जनवरी 2025 में महंगाई दर के 4.5-4.7% के बीच रहने की उम्मीद।
जीडीपी वृद्धि दर (प्रतिशत में):
| वर्ष | जीडीपी वृद्धि दर (%) |
|---|---|
| 2023-24 | 8.2% |
| 2024-25 (अनुमान) | 6.4% |
| 2025-26 (अनुमान) | 6.7% |
खुदरा महंगाई दर (प्रतिशत में):
| महीना/वर्ष | महंगाई दर (%) |
|---|---|
| दिसंबर 2024 | 5.2% |
| जनवरी 2025 (अनुमान) | 4.5% – 4.7% |
| 2025-26 (अनुमान) | 4.2% |
निष्कर्ष:
रेपो दर में यह कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल ऋण सस्ता होगा, बल्कि निवेश और खर्च को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इससे बचत पर ब्याज दरों में कमी आ सकती है और यदि महंगाई नियंत्रण से बाहर हो, तो इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।
Source: Indian Express