भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने 100वें प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की

29 जनवरी, 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने 100वें प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण इतिहास में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ, जिसमें GSLV-F15 रॉकेट NVS-02 उपग्रह को ले गया। रॉकेट ने सुबह 6:23 बजे उड़ान भरी और 19 मिनट बाद NVS-02 उपग्रह को सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित कर दिया। यह सफल मिशन 2025 का पहला था और इसने अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी में इसरो की निरंतर प्रगति को प्रदर्शित किया।

इसरो का 100वां प्रक्षेपण: एक मील का पत्थर

यह प्रक्षेपण इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह अंतरिक्ष बंदरगाह से प्रक्षेपित 100वें मिशन का प्रतिनिधित्व करता है, जो संगठन की बढ़ती क्षमताओं और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इस महीने की शुरुआत में कार्यभार संभालने वाले इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इस उपलब्धि पर बहुत गर्व व्यक्त किया और इस मील के पत्थर के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इन 100 प्रक्षेपणों के दौरान इसरो ने 548 उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित किया है, जिसमें न केवल घरेलू उपग्रह शामिल हैं, बल्कि 433 विदेशी संस्थाओं के उपग्रह भी शामिल हैं। प्रक्षेपित कुल पेलोड 120 टन तक पहुँच गया है, जिसमें 23 टन विदेशी उपग्रहों का है।

एनवीएस-02 और नाविक: भारत के नेविगेशन सिस्टम को मजबूत बनाना

इस ऐतिहासिक मिशन में प्रक्षेपित एनवीएस-02 उपग्रह भारत के नाविक (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) सिस्टम का हिस्सा है, जो एक स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है जिसे भारत और उसके आसपास के क्षेत्रों में अत्यधिक सटीक स्थिति, वेग और समय (पीवीटी) सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। NavIC का निर्माण GPS जैसी विदेशी नेविगेशन प्रणालियों पर भारत की निर्भरता को कम करने और भारत तथा भारतीय भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर दूर तक फैले क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को विश्वसनीय नेविगेशन तथा समय सेवाएँ प्रदान करने के लिए किया गया था।

NVS-02, NavIC उपग्रहों की दूसरी पीढ़ी का दूसरा उपग्रह है, जिसे NVS श्रृंखला के रूप में जाना जाता है। NVS श्रृंखला का उद्देश्य मूल IRNSS (भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली) उपग्रहों की क्षमताओं को बढ़ाना है। NVS उपग्रह उन्नत सुविधाओं से लैस हैं, जिसमें एक उन्नत परमाणु घड़ी भी शामिल है, जो सटीक समय समन्वयन तथा स्थिति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण है। NVS-02 उपग्रह कक्षा में IRNSS-1E की जगह लेगा तथा पूरे भारत तथा क्षेत्र में उन्नत नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करना जारी रखेगा।

परमाणु घड़ी प्रौद्योगिकी तथा स्वदेशी प्रगति

इस प्रक्षेपण का एक मुख्य आकर्षण स्वदेशी परमाणु घड़ी प्रौद्योगिकी का उपयोग है। मई 2023 में लॉन्च किया गया NVS सीरीज का पहला उपग्रह, NVS-01, स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु घड़ी ले जाने वाला पहला उपग्रह था, जो भारत की तकनीकी उन्नति में एक बड़ी उपलब्धि है। NVS-02 उपग्रह में सटीक समय अनुमान के लिए स्वदेशी और खरीदे गए परमाणु घड़ियों का संयोजन भी है, जो नेविगेशन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है जो स्थिति की गणना करने के लिए सटीक समय माप पर निर्भर करते हैं।

इन परमाणु घड़ियों का विकास महत्वपूर्ण अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रमाण है, और यह देश की “मेक इन इंडिया” पहल के साथ संरेखित है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष जैसे उन्नत क्षेत्रों में स्वदेशी विकास को बढ़ावा देना है। परमाणु घड़ी उपग्रह को सटीक समय सिंक्रनाइज़ेशन प्रदान करने की अनुमति देती है, जिससे नेविगेशन और टाइमिंग जैसी सेवाओं की विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।

Source: The Hindu