किस चोल शासक ने चिदम्बरस का प्रसिद्ध नटराज मंदिर का निर्माण कराया – परांतक प्रथम
परान्तक प्रथम को तक्कोलक के युद्ध में किसने हराया – राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय ने
राजराज प्रथम गद्दी पर कब बैठा – 985 ई. में
राजराज प्रथम का वास्तविक नाम क्या था – अरमोलि वर्मन
राजराज प्रथम ने कौन-सी उपाधि धारण की – काण्डलूर शालैकलमस्त तथा शिवपादशेखर की
राजराज प्रथम ने श्रीलंका के किस शासक को हराया – महेन्द्र पंचम को
किसकी नौसेना सर्वाधिक मजबूत थी – चोलों की
अपने राज्य की समस्त भूमि की माप किसने करवाई – राजराज प्रथम ने
तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया – राजराज प्रथम ने
तंजौर का वृहदीश्वर / राजराजेश्वर मंदिर किस देवता को समर्पित है – शिव को
चोल काल में निर्मित नटराज की कांस्य प्रतिमाओं में देवाकृति प्राय है – चतुर्भुज
श्रीलंका में बौद्ध विहारों को किसने नुकसान पहुँचाया – राजेन्द्र प्रथम ने
गंगा घाटी की विजय के उपलक्ष्य में राजेन्द्र प्रथम ने कौन-सी उपाधि धारण की – गंगईकोण्ड की
गंगैकोण्डचोलपुरम का शिव मंदिर का निर्माण किसके समय में हुआ – राजेन्द्र प्रथम
राजेन्द्र प्रथम ने अपनी नई राजधानी कहाँ बनाई – गंगईकोण्ड चोलपुरम् में
दक्षिण पूर्व एशिया की विजय किसने की – राजेन्द्र प्रथम ने
चोल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार किसके शासनकाल में हुआ – राजेन्द्र प्रथम के
राजेन्द्र प्रथम ने इन्द्र का निर्मलहार किससे छिना – महेन्द्र पंचम से
येतगिरी में विजय स्तम्भ किसने बनवाया – राजाधिराज प्रथम ने
राजेन्द्र द्वितीय ने किसे पराजित कर अपना विजय स्तम्भ कोल्हापुर में स्थापित किया – सोमेश्वर को
वीर राजेन्द्र ने किसे हराकर तुंगभद्रा नदी के तट पर विजय स्तम्भ स्थापित किया – चालुक्यों को
कुलोतुंग प्रथम ने कितने सौदागरों का दूतमण्डल चीन भेजा – 72
कलिंग के विद्रोह को किसने दबाया – कुलोतुंग ने
चिदम्बरम के मंदिर तथा श्रीरंगम की समाधि किसने बनवाई – कुलोतुंग ने
‘सुगन्दवृत’ (करो को हटाने वाला) की उपाधि किस चोल शासक धारण की – कुलोतुंग ने
कुलोतुंग प्रथम का राजकवि कौन था – जयगोन्दार
‘कलिंगतुपर्णि’ की रचना किसने की थी – जयगोन्दार ने
कुन्नुर का बालसुब्रह्मण्यम् मंदिर तथा कुम्भकोणम का नागेश्वर मंदिर किसने बनवाया – आदित्य प्रथम ने
दारासुरम के ऐरावतेश्वर मन्दिर का निर्माण किसने करवाया – राजराज द्वितीय ने
चोल वंश का अन्तिम शासक कौन था – राजेन्द्र तृतीय
दक्षिण भारत का ‘तक्कोलम’ का युद्ध हुआ था – चोल एवं राष्ट्रकूटों के मध्य
चोल साम्राज्य का अन्त पाण्ड्डय नरेश कुलशेखर ने कब किया – 1279 ई.
चोल वंश में सदैव राजा के पास रहने वाले उच्चाधिकारियों को क्या कहा जाता था – ओलै
चोल वंश में समितियों को क्या कहा जाता था – उड़नकूटम
सम्राट की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों को क्या कहा जाता था – वारियम
राजेन्द्र चोल के गुरु कौन थे – वलैक्कारर इशानशिव एवं सर्वशिव
विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक रामानुजाचार्य किसके समकालीन थे – राजेन्द्र प्रथम के
चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण प्रदान किया – शैव धर्म
कौरंगनाथ मंदिर को किसने बनवाया – परान्तक प्रथम में
चोलकाल में मंदिरों के प्रवेश द्वार क्या कहलाता था – गोपुरम
चोल शासक की प्रमुख भाषा क्या थी – संस्कृत एवं तमिल
लिंगायत सम्प्रदाय की स्थापना किसने की – बासव ने
नयनार संत किसके उपासक थे – शिव के
पल्लव वंश का संस्थापक कौन था – बप्पदेव
पल्लवों की राजभाषा थी – संस्कृत
पल्लव वंश का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है – सिंहविष्णु को
सिंह विष्णु को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है – अवनिसिंह
पल्लव – चालुक्य संघर्ष किसके काल में आरम्भ हुआ – महेन्द्रवर्मन प्रथम एवं पुलकेशिन द्वितीय
‘मतविलास प्रहसन’ की रचना किसने की – महेन्द्रवर्मन प्रथम ने
महेन्द्रवर्मन प्रथम ने कौन-कौन-सी उपाधियाँ धारण की थी – विचित्रचित्र, मतविलास एवं गुणभर की
महेन्द्रवर्मन ने जैन धर्म त्यागकर कौन सा मत ग्रहण कर लिया – शैव मत
महेन्द्रवर्मन किससे शिक्षा ग्रहण की थी – रुद्राचार्य से
महेन्द्रवर्मन को किससे पराजित होना पड़ा – पुलकेशिन द्वितीय से
पल्लव वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक कौन हुआ – नरसिंह वर्मन प्रथम
नरसिंह वर्मन ने तीन युद्धों में किसे पराजित किया – पुलकेशिन द्वितीय को
नरसिंह वर्मन ने पुलकेशिन द्वितीय के पीठ पर क्या अंकित किया – विजयाक्षर
नरसिंह वर्मन ने कौन-सी उपाधि धारण की – वातापिकोण्ड और महामल्ल
नरसिंह वर्मन का पराक्रमी सेनापति कौन था -शितोण्ड
किसके काल में महाबलीपुरम् के एकाश्मक रथों का निर्माण शुरू हुआ – नरसिंहवर्सन प्रथम
पुलकेशिन द्वितीय चाचा मंगलेश को हराकर शासक कब बना – 610 ई. में
हर्ष ने दक्षिण का स्वामी किसे स्वीकार किया -पुलकेशिन द्वितीय को
पुलकेशिन द्वितीय को किस पल्लव शासक ने हराकर मार डाला – नरसिंह वर्मन प्रथम
पुलकेशिन द्वितीय ने किस फारस के शासक के दरबार में शिष्टमण्डल भेजा था – खुसरो द्वितीय के
महान खगोलशास्त्री भास्कराचार्य के पुत्र लक्ष्मीधर किसके दरबारी कवि थे – जैतुंगी के
सारंगदेव का संगीत किसके दरबार में लिखा गया -रत्नाकर सिंघन के
‘व्रतखांदा’ के लेखक किसके दरबार में रहता था -हेमाद्रि महादेव के
देवगिरि को अलाउद्दीन खिलजी ने कब परतंत्र कर दिया – 1296 ई. में
यादव वंश का अंतिम स्वतंत्र शासक कौन था –शंकर देव
होयसल वंश के संस्थापक कौन थे – साल
होयसल राज्य का वास्तविक संस्थापक कौन था -विष्णुवर्धन
होयसल किस वंश से सम्बन्धित थे – यादव वंश से
होयसल की राजधानी थी – द्वारसमुद्र
होयसलेश्वर के मंदिर का निर्माण किसके शासन काल में हुआ विष्णुवर्धन के
वेल्लूर में चेन्ना केशव मंदिर का निर्माण किसने करवाया था विष्णुवर्धन ने
गोपुरम (मुख्य द्वार) के प्रारंभिक निर्माण का स्वरूप सर्वप्रथम किस मंदिर में मिलता है – कांची के कैलाशनाथ मंदिर
नरसिंह वर्मन ने कौन-सी उपाधियाँ धारण की थी
-राजसिंह, शंकर भक्त तथा आगमप्रिय की
संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान दण्डी किसके राजसभा में रहते थे – नरसिंहवर्मन द्वितीय के
वैष्णव परम्परा का अन्तिम पल्लव शासक कौन था – परमेश्वर वर्मन दवितीय
कांची का मुक्तेश्वर मंदिर तथा बैकुण्ठ पेरुमाल मंदिर का निर्माण किसने करवाया – नन्दिवर्मन
देवितीय से
प्रसिद्ध वैष्णव सन्त तिरूमंडई आलवर किसके समकालीन था – नन्दिवर्मन दद्वितीय के
पल्लव नरेश किस धर्म के अनुयायी थे – वैष्णव मत का
‘दशकुमार चरित’ तथा ‘काव्य दर्श’ के लेखक कौन थे – दण्डी
चीनी यात्री ह्वेनसांग किसके समय में दक्षिण भारत आया था – पुलकेशिन द्वितीय के
रविकृर्ति द्वारा निर्मित जिनेन्द्र मंदिर/मेगुती मंदिर का संबंध किस धर्म से है – जैन धर्म
ऐहोल का लाद खॉ मंदिर किस देवता को समर्पित है – सूर्य
पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को पराजित कर किसकी उपाधि धारण की – परमेश्वर की
‘बहुसुवर्ण एव अग्निष्टोम्’, यज्ञों को किसने सम्पन्न करवाया – कीर्तिवर्मन प्रथम ने
पुलकेशिन द्वितीय चाचा मंगलेश को हराकर शासक कब बना – 610 ई. में
हर्ष ने दक्षिण का स्वामी किसे स्वीकार किया -पुलकेशिन द्वितीय को
पुलकेशिन द्वितीय को किस पल्लव शासक ने हराकर मार डाला – नरसिंह वर्मन प्रथम
पुलकेशिन द्वितीय ने किस फारस के शासक के दरबार में शिष्टमण्डल भेजा था – खुसरो द्वितीय के
महान खगोलशास्त्री भास्कराचार्य के पुत्र लक्ष्मीधर किसके दरबारी कवि थे –
सारंगदेव का संगीत किसके दरबार में लिखा गया -रत्नाकर सिंघन के
‘व्रतखांदा’ के लेखक किसके दरबार में रहता था -हेमाद्रि महादेव के
देवगिरि को अलाउद्दीन खिलजी ने कब परतंत्र कर दिया – 1296 ई. में
यादव वंश का अंतिम स्वतंत्र शासक कौन था -शंकर देव
होयसल वंश के संस्थापक कौन थे – साल
होयसल राज्य का वास्तविक संस्थापक कौन था -विष्णुवर्धन
होयसल किस वंश से सम्बन्धित थे – यादव वंश से
होयसल की राजधानी थी – द्वारसमुद्र
होयसलेश्वर के मंदिर का निर्माण किसके शासन काल में हुआ – विष्णुवर्धन के
वेल्लूर में चेन्ना केशव मंदिर का निर्माण किसने करवाया था – विष्णुवर्धन ने
गोपुरम (मुख्य द्वार) के प्रारंभिक निर्माण का स्वरूप सर्वप्रथम किस मंदिर में मिलता है – कांची के कैलाशनाथ मंदिर
नरसिंह वर्मन ने कौन-सी उपाधियाँ धारण की थी -राजसिंह, शंकर भक्त तथा आगमप्रिय की
संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान दण्डी किसके राजसभा में रहते थे – नरसिंहवर्मन द्वितीय के
वैष्णव परम्परा का अन्तिम पल्लव शासक कौन था – परमेश्वर वर्मन द्वितीय
कांची का मुक्तेश्वर मंदिर तथा बैकुण्ठ पेरुमाल मंदिर का निर्माण किसने करवाया – नन्दिवम्
प्रसिद्ध वैष्णव सन्त तिरुमंडई आलवर किसके समकालीन था – नन्दिवर्मन द्वितीय के
पल्लव नरेश किस धर्म के अनुयायी थे – वैष्णव मत का
‘दशकुमार चरित’ तथा ‘काव्य दर्श’ के लेखक कौन थे – दण्डी
चीनी यात्री ह्वेनसांग किसके समय में दक्षिण भारत आया था – पुलकेशिन द्वितीय के
रविकृर्ति द्वारा निर्मित जिनेन्द्र मंदिर/मेगुती मंदिर का संबंध किस धर्म से है – जैन धर्म
ऐहोल का लाद खाँ मंदिर किस देवता को समर्पित है – सूर्य
पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को पराजित कर किसकी उपाधि धारण की – परमेश्वर की
‘बहुसुवर्ण एवं अग्निष्टोम्’, यज्ञों को किसने सम्पन्न करवाया – कीर्तिवर्मन प्रथम ने
‘सकलोतर पथनाथ’ की उपाधि किसने धारण की थी – विनयादित्य द्वितीय ने
कांचिनकोड की उपाधि किसने धारण की थी – विक्रमादित्य द्वितीय ने
त्रैलोकेश्व मन्दिर का निर्माण किसने करवाया – त्रैलोक्य महादेवी ने
पापनाथ का मंदिर, पत्तडकल्ल का निर्माण किस वंश के शासक ने किया – वतापी के चालुक्य
तंजौर में दुर्गावती का मंदिर तथा नतामलाई में विजय चोलेश्वर मंदिर किसने बनवाया – विजयालय
वेंगी के चालुक्य वंश का संस्थापक कौन था – विष्णुवर्द्धन
विष्णुवर्धन किस धर्म का अनुयायी था – भागवत धर्म का
विजयवाड़ा में जैन मंदिर का निर्माण किसने करवाया – विष्णुवर्धन की पत्नी आयना महादेवी ने
वेंगी के चालुक्य वंश की राजधानी कहाँ थी – वेंगी (आन्ध्र प्रदेश)
वेंगी के चालुक्य वंश का सबसे प्रतापी शासक कौन था – विजयादित्य तृतीय
विजयादित्य तृतीय ने स्वयं को महानतम शासक घोषित किया – दक्षिणापथ को
चोलों का सर्वप्रथम वर्णन कहाँ मिलता है -अशोक के तेरहवें शिलालेख में
प्रारम्भिक चोलों की राजधानी कहाँ थी – तंजौर
परवर्ती या आधुनिक चोल वंश का संस्थापक कौन था – विजयालयचोल (850 ई.)
चोल राज्य का संस्थापक विजयालय पहले किसका सामंत थापल्लव
दक्षिण गंगवाड़ि
विजयालय चोल ने
परान्तक प्रथम ने किसको हराकर मदुरै कोण्डा की उपाधि धारण की – पाण्ड्य शासक राजसिंह क
होयसल वंश का अंतिम शासक कौन था – वीर बल्लाल तृतीय
होयसल वंश के अस्तित्व कब और किसने समाप्त कर दिया – 1310 ई. में, मलिक काफूर ने
होयसल स्मारक पाए जाते हैं हलेबिड और बेलूर में
कदम्ब राजवंश की स्थापना किसने की थी – मयूर
शर्मन ने कदम्ब शासकों की राजधानी कहाँ थी -बनवासी
कदम्ब शासकों की दूसरी राजधानी का क्या नाम था – वालासिका
मयूर शर्मन का उत्तराधिकारी कौन हुआ – मृगेश वर्मन
गंग वंश की स्थापना किसने की थी – कोंकणी वर्मा ने
गंग वंश का शासन आधुनिक मैसूर के किस क्षेत्र में था – कावेरी नदी के तट पर ‘तालकाड’ में
माधव प्रथम ने किस पर टीका लिखा था – दत्तक पुत्र पर
गंग शासक श्री विजय ने अपनी राजधानी कहाँ बनाया r = मान्मपुर में
काकतीय वंश का संस्थापक कौन था – बीटा प्रथम
काकतीय शासक किसके सामन्त थे – पश्चिमी चालुक्यों के
किसने अपने को चालुक्यों से स्वतंत्र घोषित किया – परोला द्वितीय ने
अनुमाकोडा के हजार स्तम्भों वाले मंदिर का निर्माण किसने करवाया – रुद्रदेव ने
ओरुगाल्लु (आधुनिक वारंगल) नामक नया शहर किसने बसाया – रुद्रदेव ने
काकतीय वंश का सबसे शक्तिशाली राजा कौन था – गणपति देव
गणपतिदेव ने अपनी राजधानी कहाँ स्थापित की -वारंगल में
‘नीतिशास्त्र मुक्तावली’ किसने लिखी – बाछेना ने
‘नीरवचनोत्तर रामायण’ किसने लिखी – तिक्काना
काकतीय राज में कौन सा धर्म प्रचलित था -कालामुख तथा पशुपत धर्म
रुद्रम्बा किस राजवंश की प्रसिद्ध महिला शासक थी – काकतीय
अप्पाचार्य की कौन-सी रचना है – प्रतिस्थासार