तेल की कीमतों में गिरावट क्यों आई है और इसके संभावित परिणाम क्या हैं?

तेल की कीमतों में हालिया गिरावट के पीछे कई भू-राजनीतिक और आर्थिक कारक हैं। बीते एक हफ्ते तक तेल कीमतें ऊपर की ओर थीं, लेकिन सोमवार को वे अचानक 9% तक गिर गईं। ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 5.6% की गिरावट के साथ $67.44 प्रति बैरल पर आ गए। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि वैश्विक तेल आपूर्ति में किसी तरह की रुकावट नहीं आने की आशा बन गई है और पश्चिम एशिया में तनाव कम होने की संभावना दिखने लगी है।

तेल की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण था ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव और ईरान द्वारा बार-बार यह चेतावनी देना कि वह होरमुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा। यह मार्ग खाड़ी देशों से लगभग एक चौथाई वैश्विक तेल की आपूर्ति के लिए प्रमुख निकासी मार्ग है। लेकिन जब ईरान ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर अमेरिका के कतर स्थित सैन्य अड्डों पर हमला करना चुना और तेल आपूर्ति को निशाना नहीं बनाया, तब बाजार में विश्वास लौटा कि आपूर्ति बाधित नहीं होगी।

इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान और इज़राइल के बीच “पूर्ण सहमति” वाले संघर्षविराम की घोषणा ने तनाव में कमी की आशा और मजबूत की। हालांकि, उसी दिन इज़राइल ने तेहरान पर नए हमलों का आदेश दिया, जिससे संघर्षविराम के उल्लंघन के संकेत मिले। ट्रंप ने इस पर चेतावनी दी कि अगर इज़राइल बमबारी करता है तो यह समझौते का उल्लंघन होगा।

तेल कंपनियों पर इसका प्रभाव भी मिला-जुला रहा। तेल की कीमतों में गिरावट अपस्ट्रीम कंपनियों (जैसे ONGC, Oil India) के लिए नुकसानदायक होती है क्योंकि इनके लिए तेल निकालने की लागत स्थिर रहती है, जबकि बिक्री मूल्य गिर जाता है। इसी कारण इन कंपनियों के शेयर मंगलवार को 5.6% और 2.94% तक गिरे। इसके विपरीत, डाउनस्ट्रीम कंपनियों (जैसे BPCL, HPCL, IOCL) को सस्ता कच्चा तेल मिलने से लाभ हुआ और इनके शेयरों में क्रमशः 1.92%, 3.24%, और 2.04% की बढ़त देखी गई।

भारत पर इसका प्रभाव सीमित हो सकता है क्योंकि भारत ने हाल के वर्षों में अपने तेल स्रोतों का विविधीकरण किया है और अब काफी मात्रा में तेल ऐसी जगहों से आता है जो होरमुज जलडमरूमध्य पर निर्भर नहीं हैं। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारतीय कंपनियों के पास कई सप्ताह के लिए तेल भंडार मौजूद है और वे कई मार्गों से लगातार आपूर्ति प्राप्त कर रही हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आम जनता को ईंधन की आपूर्ति में कोई परेशानी नहीं होगी।

इस प्रकार, तेल कीमतों की गिरावट भू-राजनीतिक तनावों की दिशा में बदलाव और आपूर्ति पर भरोसे के कारण हुई है, जिसका लाभ उपभोक्ताओं और डाउनस्ट्रीम उद्योगों को मिल सकता है, जबकि अपस्ट्रीम कंपनियों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है।

Source: The Hindu