भारतीय नौसेना का नवीनतम स्टील्थ फ्रिगेट “तामल” जो रूस में निर्माणाधीन है, इस वर्ष जून की शुरुआत में कमीशन होने की संभावना है। इस युद्धपोत को संचालित करने वाली भारतीय नौसेना की टीम पिछले सप्ताह सेंट पीटर्सबर्ग पहुँची है। यह घटना भारत के नौसैनिक इतिहास में महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि “तामल” आखिरी ऐसा युद्धपोत होगा जो भारत के बाहर कमीशन किया जाएगा या विदेश से आयात किया गया होगा। इसके बाद, भारत पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण पर निर्भर रहेगा।
तामल युद्धपोत की कमीशनिंग प्रक्रिया
करीब 200 नौसैनिकों की कमीशनिंग टीम 10 दिन पहले सेंट पीटर्सबर्ग पहुँची थी। इस दौरान नौसैनिकों को युद्धपोत के संचालन और तकनीकी पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद, यह टीम कालिनिनग्राद स्थानांतरित हो जाएगी, जहाँ युद्धपोत को कमीशन किए जाने से पहले कई परीक्षणों से गुजरना होगा।
तामल युद्धपोत का निर्माण 2016 में भारत और रूस के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते के तहत किया गया है। इस समझौते के तहत चार स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जाने थे, जिनमें से दो रूस में और दो भारत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं।
रूस में निर्मित दो युद्धपोतों के लिए 1 अरब डॉलर (लगभग 83 अरब रुपये) का सौदा किया गया था। इस सौदे के अंतर्गत पहला युद्धपोत INS तुशील को 9 दिसंबर 2024 को कालिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। INS तुशील ने 12,500 समुद्री मील की यात्रा पूरी करने के बाद 14 फरवरी 2025 को अपने होम पोर्ट कारवार पहुँच चुका है।
तामल के परीक्षण और कमीशनिंग की प्रक्रिया
तामल पहले ही निर्माता परीक्षण (Manufacturer Trials) पास कर चुका है और अब यह राज्य समिति परीक्षण (State Committee Trials) से गुजर रहा है। इस प्रक्रिया के बाद इसे डिलीवरी एक्सेप्टेंस ट्रायल्स (Delivery Acceptance Trials) से गुजरना होगा, जिसमें बंदरगाह और समुद्र में परीक्षण शामिल होंगे। यह पूरी प्रक्रिया 45 से 50 दिनों में पूरी होगी। इस दौरान युद्धपोत के सभी हथियारों का परीक्षण भी किया जाएगा, जिसके बाद इसे आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।
भारत में बनने वाले दो युद्धपोतों की स्थिति
भारत में बनने वाले दो युद्धपोतों के निर्माण के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) और रूस की रक्षा निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच 500 मिलियन डॉलर (लगभग 41 अरब रुपये) का अनुबंध नवंबर 2018 में किया गया था। इसके बाद जनवरी 2019 में रक्षा मंत्रालय और GSL के बीच आधिकारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।
इन युद्धपोतों में इस्तेमाल होने वाले इंजन यूक्रेन की ज़ोर्या माशप्रोएक्ट (Zorya Mashproekt) कंपनी द्वारा निर्मित किए गए हैं। पहला स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट 2026 तक नौसेना को सौंपे जाने की योजना है, जबकि दूसरा युद्धपोत इसके 6 महीने बाद तैयार होगा। वर्तमान में निर्माण कार्य निर्धारित समयानुसार (On Track) चल रहा है।
भारतीय नौसेना: एक डिजाइनर और निर्माता नौसेना बनने की दिशा में
भारतीय नौसेना ने 1970 में “डायरेक्टरेट ऑफ़ नेवल डिज़ाइन” (Directorate of Naval Design) की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण को बढ़ावा देना था। इसके बाद से, भारत ने एक निर्माता नौसेना (Builder’s Navy) के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में 60 से अधिक युद्धपोत भारतीय शिपयार्ड में निर्माणाधीन हैं, जो देश की “आत्मनिर्भर भारत” नीति को सशक्त कर रहे हैं।
इस सफलता के साथ, INS तामल भारतीय नौसेना का अंतिम विदेशी आयातित युद्धपोत होगा, जिसके बाद भारत पूरी तरह से अपने युद्धपोतों का डिजाइन, निर्माण और विकास स्वदेश में ही करेगा।
Source: The Hindu