ट्रंप और नए व्यापारिक टैक्स: अमेरिका का सख्त रुख, लेकिन नुकसान किसका?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया भर में हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन से आने वाले सामानों पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगाने का फैसला किया। इतना ही नहीं, ट्रंप ने कहा है कि आने वाले महीनों में और भी देशों पर नए व्यापारिक टैक्स लगाए जाएंगे। इस फैसले का असर जापान, दक्षिण कोरिया और पूरे एशिया के बाजारों पर दिखने लगा है, क्योंकि इससे उद्योगों की सप्लाई चेन प्रभावित होगी, खासकर ऑटोमोबाइल (गाड़ियों) के क्षेत्र में, जहां विदेशी निवेश काफी ज्यादा है।

कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैक्स, लेकिन ऊर्जा सेक्टर को छूट

ट्रंप ने एक साथ तीन कार्यकारी आदेश (Executive Orders) पर हस्ताक्षर किए, जिनके तहत –
1. कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% टैक्स लगाया गया

2. केवल कनाडा के ऊर्जा उत्पादों को छूट मिली, जिन पर 10% टैक्स लगाया जाएगा

चीन के सामानों पर भी 10% टैक्स लगाया गया, जिससे चीन भड़क गया और उसने कहा कि वह अमेरिका के खिलाफ WTO (विश्व व्यापार संगठन) में केस दर्ज करेगा। साथ ही, चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी कि वह भी बदले में कड़े कदम उठाएगा।

इसी तरह, कनाडा और मैक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी, लेकिन ट्रंप ने मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाउम से बात कर एक महीने की राहत दे दी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से भी ट्रंप की बातचीत हुई, जिससे संकेत मिला कि कुछ नरमी बरती जा सकती है।

अब खबर यह भी है कि ट्रंप की अगली नजर यूरोपीय यूनियन (EU) पर है। हालाँकि, ब्रिटेन को फिलहाल इस फैसले से राहत मिलती दिख रही है।

ट्रंप का तर्क: व्यापारिक टैक्स से अवैध आप्रवास और ड्रग्स पर लगाम?

आमतौर पर टैरिफ (व्यापारिक टैक्स) तब लगाए जाते हैं जब किसी देश का व्यापार संतुलन बिगड़ता है या जब कोई देश कृत्रिम रूप से अपने उत्पादों की कीमतें कम करके दूसरे देशों के बाजारों को प्रभावित करता है।

लेकिन ट्रंप प्रशासन ने एक नया कारण बताया है—
वे कहते हैं कि यह टैरिफ इसलिए जरूरी है क्योंकि अमेरिका में “अवैध अप्रवासी (Illegal Aliens) और घातक ड्रग्स (Fentanyl सहित)” का खतरा बढ़ रहा है।

यानी, ट्रंप मानते हैं कि ये भारी व्यापारिक टैक्स अवैध प्रवास और नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करेंगे।

लेकिन यहाँ एक बड़ी समस्या है—

  • अगर अमेरिका व्यापार पर इस तरह के टैक्स लगाने लगेगा, तो दूसरे देश भी बदले में अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स बढ़ा सकते हैं।
  • इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार कमजोर होगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
  • इससे यह भी संकेत जाता है कि कोई भी देश अब व्यापार को “हथियार” की तरह इस्तेमाल कर सकता है, जो वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकता है।

इसका असर अमेरिका पर ही पड़ेगा?

  • ट्रंप के इन फैसलों का सबसे बड़ा नुकसान खुद अमेरिका को हो सकता है।
    अमेरिकी ग्राहक (Consumers) जो विदेशी उत्पाद खरीदते हैं, उन्हें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
  • उद्योगों के लिए इनपुट लागत (Input Cost) बढ़ जाएगी, जिससे महंगाई (Inflation) बढ़ेगी।
  • कई अमेरिकी कंपनियाँ, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर हैं, उन्हें नुकसान होगा।

शायद अमेरिका को इन फैसलों की असली कीमत अगले चार साल में समझ आए, जब महंगाई और आर्थिक संकट से जनता परेशान होगी। लेकिन फिलहाल, ट्रंप का यह फैसला व्यापारिक जगत में तूफान ला चुका है।

Source: The Hindu