केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने एक्सपायर और अनुपयोगी दवाओं के निपटान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने एक्सपायर और अनुपयोगी दवाओं के निपटान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। एक्सपायर दवाएं वे होती हैं जिनकी वैधता समाप्त हो चुकी होती है, जबकि अनुपयोगी दवाएं वे होती हैं जो खरीदी या प्रिस्क्राइब की गई होने के बावजूद उपयोग में नहीं लाई गईं।

दवाओं का अनुचित तरीके से निपटान मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। इससे जल स्रोतों में प्रदूषण फैल सकता है और आसपास की आबादी या वन्यजीव प्रभावित हो सकते हैं। यदि लैंडफिल असुरक्षित हो, तो ऐसी दवाएं कचरा बीनने वालों या बच्चों के हाथ लग सकती हैं। स्टॉक से चोरी होने पर ये दवाएं बाजार में पुनः बेची जा सकती हैं, जिससे गलत इस्तेमाल की संभावना बढ़ जाती है।

अधिकांश एक्सपायर दवाएं कम प्रभावशाली हो जाती हैं और कुछ में नया प्रतिकूल प्रतिक्रिया प्रोफाइल विकसित हो सकता है। कुछ खास दवाएं और उनका गलत निपटान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं जब बिना वैज्ञानिक तरीके से फेंकी जाती हैं, तो वे मिट्टी और जल स्रोतों में मिलकर इंसानों पर असर डालती हैं।

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में जल चक्र में सक्रिय औषधीय यौगिकों (Active Pharmaceutical Compounds) की मौजूदगी का अध्ययन किया गया था, जिसमें यह पाया गया कि अनुपयोगी और एक्सपायर दवाओं को लैंडफिल में डालने से दवा प्रतिरोधक क्षमता (drug resistance) उत्पन्न हो सकती है, विशेषकर एंटीबायोटिक्स के संदर्भ में।

14 जुलाई 2020 को आयोजित 58वीं ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी (DCC) की बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई थी, जहां तय हुआ कि एक्सपायर और अनुपयोगी दवाओं के सुरक्षित निपटान के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए।

सीडीएससीओ भारत में औषधियों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने वाली केंद्रीय संस्था है, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत कार्य करती है। यह संस्था भारत में बिकने वाली दवाओं की सुरक्षा, प्रभावशीलता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है। वैक्सीन और नई दवाओं के आयात, निर्माण और बिक्री के लिए आवश्यक अनुमति CDSCO के माध्यम से दी जाती है।

नए उत्पाद जैसे वैक्सीन, r-DNA आधारित उत्पाद, स्टेम सेल आधारित उत्पाद, और जीन थेरेपी उत्पादों को नई दवाओं की श्रेणी में माना जाता है, जिनके निर्माण के लिए New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019 के तहत अनुमति आवश्यक होती है।

सीडीएससीओ नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से कार्य करता है और इसके अंतर्गत आठ ज़ोनल कार्यालय, सात उप-ज़ोनल कार्यालय, 19 पोर्ट कार्यालय, सात केंद्रीय प्रयोगशालाएं और छह मिनी लैब्स कार्यरत हैं। यह संस्था पारदर्शिता, जवाबदेही और सेवा में समानता लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है, ताकि देश में निर्मित, आयातित और वितरित होने वाली चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।