उम्मीद की किरण: 2025 का केंद्रीय बजट

केंद्रीय बजट 2025-26 भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी समस्याओं को हल करने की कोशिश कर रहा है—घटती घरेलू मांग, निजी निवेश में कमी और धीमी वेतन वृद्धि, जिससे जीडीपी की विकास दर प्रभावित हो रही है। बजट को ध्यान से देखने पर लगता है कि सरकार ने एक सावधान रणनीति अपनाई है, लेकिन यह तय नहीं कि ये उपाय वाकई में समस्या का समाधान करेंगे।

सरकार ने लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा देने के लिए बड़े टैक्स छूट दिए हैं ताकि खर्च बढ़े और अर्थव्यवस्था को गति मिले। लेकिन इस वजह से सरकार के पास सार्वजनिक खर्च (जैसे सड़कों, रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचे पर खर्च) बढ़ाने के लिए कम पैसा बचा है, जो कि आर्थिक विकास को बढ़ाने का एक और अच्छा तरीका हो सकता था।

टैक्स छूट से मध्यम वर्ग को राहत

इस बार का बजट खासतौर पर मध्यम वर्ग को राहत देने पर केंद्रित है। अब 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को टैक्स में छूट मिलेगी, जिससे उनके हाथ में ज्यादा पैसा आएगा और वे ज्यादा खर्च कर पाएंगे। सरकार को उम्मीद है कि इससे बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

इसके अलावा, सरकार ने टेक्नोलॉजी के जरिए टैक्स वसूली बढ़ाने की योजना बनाई है। पिछले साल बजट में सरकार ने 11.87 लाख करोड़ रुपये टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा था, लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से यह बढ़कर 12.57 लाख करोड़ रुपये हो गया। सरकार उम्मीद कर रही है कि इस साल भी टैक्स वसूली में बढ़ोतरी होगी।

निजी निवेश की समस्या बरकरार

हालांकि सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर (बड़ी कंपनियों) को भी टैक्स छूट दी है, लेकिन पिछले कुछ सालों में कंपनियों ने ज्यादा निवेश नहीं किया है। कंपनियों को पहले भी टैक्स में रियायतें मिली थीं, लेकिन उन्होंने निवेश नहीं बढ़ाया। ऐसे में सरकार को टैक्स छूट को धीरे-धीरे कम करने की नीति अपनानी चाहिए थी, ताकि इस पैसे को किसी और जरूरी काम में लगाया जा सके।

बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) पर खर्च में गिरावट

सरकार ने सड़क परिवहन और दूरसंचार (टेलीकॉम) के बजट में कटौती की है। रेलवे को भी पहले जितना ही बजट दिया गया है, जबकि हाल के वर्षों में रेलवे में कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिससे इसके बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत थी।

छोटे उद्योगों (MSME) और स्टार्टअप को समर्थन

सरकार ने छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को राहत देने के लिए गारंटी कवर को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया है। स्टार्टअप्स के लिए भी यह सीमा 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, जूता-चप्पल, खिलौना और फूड प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए भी मदद दी गई है।

स्वच्छ ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) पर जोर

सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और बैटरी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए भी टैक्स में छूट दी है। एनर्जी सेक्टर के बजट को 1.36% से बढ़ाकर 1.6% किया गया है। यह अच्छा कदम है क्योंकि भारत धीरे-धीरे पर्यावरण के अनुकूल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

ग्रामीण विकास और रोजगार की स्थिति

ग्रामीण विकास के लिए बजट बढ़ाया गया है, लेकिन मनरेगा (MGNREGS) जैसी योजनाओं के बजट में कटौती की गई है। मनरेगा एक ऐसी योजना है, जो गांवों में गरीब लोगों को रोजगार देकर उनकी आमदनी बढ़ाती है और बाजार में मांग को भी बढ़ावा देती है। इस योजना का बजट कम करना सरकार के लक्ष्य के खिलाफ जा सकता है।

सरकार ने गिग वर्कर्स (जैसे ओला-उबर ड्राइवर, फूड डिलीवरी करने वाले लोग) के लिए पहचान पत्र और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण जैसी योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत उनके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात कही गई है।

निष्कर्ष

इस बजट में कई अच्छी योजनाएं हैं, लेकिन कई चीजें सिर्फ उम्मीदों पर टिकी हुई हैं। सरकार ने टैक्स छूट देकर लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा देने की कोशिश की है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि इससे निवेश और विकास को उतनी मजबूती मिलेगी, जितनी सरकार उम्मीद कर रही है। रोजगार की समस्या अभी भी बनी हुई है, और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च घटाने से विकास पर असर पड़ सकता है। इसलिए यह बजट पूरी तरह से व्यावहारिक नहीं बल्कि काफी हद तक उम्मीदों पर आधारित है।

Source: The Hindu