भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर करने की घोषणा की है। यह राशि पिछले वर्ष के ₹2.1 लाख करोड़ से 27.4% अधिक है और 2022-23 के ₹87,416 करोड़ के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक है ।
2024-25 के लिए लाभांश, लेखा वर्ष 2023-24 के दौरान आरबीआई द्वारा हस्तांतरित 2.11 लाख करोड़ रुपये के अधिशेष से 27 प्रतिशत अधिक है। 2025-26 के केंद्रीय बजट में आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से संचयी रूप से 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया गया था।
प्रमुख कारण और प्रभाव
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मुद्रा बाजार हस्तक्षेप: RBI ने रुपये की गिरावट को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया, जिसके परिणामस्वरूप ₹399 बिलियन की सकल डॉलर बिक्री हुई। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि और उच्च रिवैल्यूएशन लाभ हुआ ।
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ब्याज आय में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ब्याज दरों में वृद्धि के कारण RBI को सरकारी प्रतिभूतियों पर अधिक ब्याज आय प्राप्त हुई।
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जोखिम प्रावधान में वृद्धि: RBI ने अपनी आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) के तहत जोखिम प्रावधान (Contingent Risk Buffer) को 6.5% से बढ़ाकर 7.5% किया, जिससे डिविडेंड राशि में कमी आई।
सरकार पर प्रभाव
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राजकोषीय स्थिति में सुधार: यह डिविडेंड सरकार को अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद करेगा, जिससे FY26 में राजकोषीय घाटा 4.4% तक कम हो सकता है ।
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निवेश और विकास को बढ़ावा: सरकार को अतिरिक्त संसाधन मिलने से बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश बढ़ सकता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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बैंकिंग प्रणाली में तरलता: यह डिविडेंड बैंकों में अतिरिक्त तरलता प्रदान करेगा, जिससे ब्याज दरों में कमी और ऋण प्रवाह में वृद्धि हो सकती है ।
Source: Indian Express