अमेरिका-इज़रायल के ‘विशेष संबंध’ के पीछे क्या है: व्याख्या

13 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान पर बमबारी शुरू कर दी, जबकि तीन दिन बाद अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत होने वाली थी। इससे पहले अमेरिका और ईरान के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी थी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे ईरान के साथ एक समझौता चाहते हैं। लेकिन इज़राइली हमले ने इस कूटनीतिक प्रयास को पटरी से उतार दिया।

हालांकि, इसके बावजूद ट्रंप ने इज़राइल के हमले का स्वागत किया और ईरान से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की। कुछ ही दिनों में जब इज़राइल ईरान से दागे गए बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में संघर्ष कर रहा था, तब ट्रंप ने अमेरिका को युद्ध में झोंक दिया और अमेरिकी B2 बॉम्बर्स और मिसाइलों ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — पर हमले किए। यह कदम ट्रंप के अपने राजनीतिक आधार के विरोध के बावजूद उठाया गया।

अमेरिका-इज़राइल संबंधों का इतिहास

अमेरिका ने इज़राइल के गठन से पहले ही यहूदी राष्ट्र के विचार का समर्थन किया था। 1919 में राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने यहूदी राज्य की स्थापना के लिए समर्थन जताया था। अमेरिका वह पहला देश था जिसने 1948 में इज़राइल की स्वतंत्रता की घोषणा के 11 मिनट के भीतर उसे मान्यता दी।

1956 के स्वेज संकट के दौरान अमेरिका ने इज़राइल से पीछे हटने के लिए दबाव डाला और सहायता रोकने की धमकी दी। इसी प्रकार, 1960 के दशक में केनेडी प्रशासन ने इज़राइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताई थी।

1967 के छह दिवसीय युद्ध में इज़राइल ने जॉर्डन, मिस्र और सीरिया को हराकर बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया। अमेरिका उस समय वियतनाम युद्ध में उलझा हुआ था। इज़राइल की त्वरित जीत और सोवियत समर्थित अरब देशों पर विजय ने अमेरिका को यह भरोसा दिलाया कि इज़राइल क्षेत्र में सोवियत प्रभाव को रोकने में मददगार साबित हो सकता है। इसके बाद से अमेरिका-इज़राइल संबंध गहरे होते चले गए।

– अमेरिका इज़राइल को लगभग बिना शर्त वित्तीय, सैन्य और राजनीतिक समर्थन देता है।

– इज़राइल को अब तक अमेरिका से $158 अरब डॉलर की सहायता मिल चुकी है, और वर्तमान में उसे हर साल $3.8 अरब डॉलर की सैन्य सहायता मिलती है, जो उसके सैन्य बजट का लगभग 16% है।

– दोनों देशों के बीच $50 अरब डॉलर से अधिक का वार्षिक व्यापार होता है।

– अमेरिका और इज़राइल के बीच सुरक्षा और रक्षा तकनीक में गहरा सहयोग है। उदाहरण के लिए, इज़राइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ का वित्त और उत्पादन आंशिक रूप से अमेरिका द्वारा किया गया है।

– 1973 के यौम किप्पुर युद्ध से लेकर 1982 के लेबनान युद्ध, पहली और दूसरी इंतिफ़ादा तक, अमेरिका ने इज़राइल को हर मौके पर सैन्य या राजनीतिक समर्थन दिया है।

– ट्रंप प्रशासन ने यरूशलेम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी और दूतावास स्थानांतरित किया।

– ट्रंप ने गोलान हाइट्स पर इज़राइल के कब्जे को भी मान्यता दी, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद क्षेत्र है।

– अक्टूबर 7, 2023 को हमास के हमले के बाद से अमेरिका ने इज़राइल के हर सैन्य कदम का समर्थन किया।

– अमेरिका में यहूदी समुदाय और ईसाई इंजीलवादी (Evangelical Christians) दोनों पार्टियों के लिए प्रभावशाली मतदाता वर्ग हैं, और ये प्रबल रूप से इज़राइल समर्थक हैं।

– अमेरिका में AIPAC (American Israel Public Affairs Committee) जैसी लॉबी संस्थाएं, अमेरिकी नीति को इज़राइल समर्थक दिशा में प्रभावित करती हैं।

लेखक जॉन मीयरशाइमर और स्टीफन वॉल्ट के अनुसार, यह लॉबी अमेरिकी कांग्रेस में इज़राइल समर्थक नेताओं को समर्थन देती है और आलोचनात्मक आवाजों को दबाने में सक्षम है।

Source: The Hindu